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एक्क-एग
पाइअसद्दमहण्णवो ["नवत] ६१ वाँ (पउम ६१, ३०)। एकसरिअंभ[दे] १ शीघ्र, तुरन्त । २ [चारिन्] अकेल-विहारी (सूम १, १३)।
रसम वि [दश] ग्यारहवाँ (विपा १, संप्रति, आजकल (हे २, २१३; षड्)। चूड पुं[चूड] विद्याधर वंश का एक १, उवाः सुर ११, २५०)। 'रह त्रि. ब. एक्कसिरिआ अ [दे] शीघ्र, जलदी (प्राकृ
राजा ( पउम ५, ४५ )। °च्छत्त वि [दिशन् ग्यारह, दश और एक (षड्)।
[च्छत्र] १ पूर्ण प्रभुत्ववाला, अकण्टक; "सीइ स्त्री [शीति] संख्या-विशेष, एकासी एकसाहिल्ल वि [दे] एक स्थान में रहने । 'एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊरण वसुहं (पएह २, (सम ८८)। सीइविह वि [°शीतिविध वाला (दे १, १४६) ।
४)। २ अद्वितीय (काप्र १८६)। जडि एकासी तरह का (पएण १;१७)। सीय वि एक्कसिंबली स्त्री [दे] शाल्मली-पुष्पों से नूतन |
विजटिन् महाग्रह-विशेष (ठा २, ३) । [शीत] एकासीवाँ, ८१ वाँ (पउम ८१, फलवाली (दे १,१४६)।
जाय वि [जात] अकेला, निस्सहायः १६)ोत्तरसय वि[ोत्तरशततम एक | एक्कसेस देखो एग-सेस (अणु १४७) ।
'खग्गविसाणं व एगजाए' (पएह २, ५) । सौ एक वाँ, १०१ वाँ (पउम १०१, ७६)। एकह देखो एग (प्राकृ ३५) ।
'वि [स्थ] इकट्टा, एकत्रित (भग १४,, सेयर [ दर] सहोदर भाई, सगा भाई एक्कार देखो एक्कारह (कम्म ६, १६)
६ उप पृ ३४१)। "8 वि [ार्थ एक (पउम ६, ६० ४६, १८)। यरा स्त्री | एक्कार पुं[अयस्कार] लोहार (हे १, १६६;
अर्थवाला, पर्याय-शब्द (प्रोघ १ भा)। 'दु, [दरा] सगी बहिन (पउम ८, १०६) कमा)
टुं श्र[व] एक स्थान में; 'मिलिया सव्वेवि एक वि [एकक अकेला (हेका ३१) । एक्की स्त्री [एका] एक (स्त्री) (निचू १)M
एगळं (पउम ४७, ४४)। "ट्रिय वि
[र्थिक] एक ही अर्थवाला, समानार्थक, एक वि [दे] स्नेह गर, प्रेम-तत्पर (दे १, एक्कूण देखो अउण (पि ४४५) ।
पर्याय-शब्द (ठा १)। ट्ठिय वि [स्थिक १४४)। एकेक्कम वि [दे] परस्पर, अन्योन्य (दे १,
जिसके फल में एक ही बीज होता है ऐसा एक्कई (प्रस) वि [एकाकिन् ] एकाकी, १४५); 'सुहडा एक्केक्कम अपेच्छंता' (प उम
आम वगैरह का पेड़ (परण १) । णासा स्त्री अकेला (भवि) । ६८, १५)।
[नासा] एक दिक्कुमारो, देवी-विशेष एकंग न [दे] चन्दन, सुगन्धि काष्ठ-विशेष
(प्राव १)। त्त न [] एक ही स्थान (दे १, १४४)।
देखो एग (प्राकृ, ३५)। एक्कोल्लम
में; 'एगत्ते ठिप्रो' (स ४७०) । 'स्थ देखो एक्कंत ' एकान्त] १ सर्वथा । २ तत्त्व, एग स [एक] १ एक, प्रथम-संख्या (अणु)। 8 (सम्म १०९; निचू १)। नासा देखो प्रमेय । ३ जरूर, अवश्य । ४ असाधारणता, | २ एकाकी, अकेला (ठा ४,१)। ३ अद्वितीय | णासा (ठा ८)। 'पए प [पदे] एक विशेष (से ४,२३)। ५ निर्जन, निराला (गा (कुमा)। ४ असहाय, निःसहाय ( विपा १, ही साथ, युगपत् (पि १७१)। पक्ख वि १०२)। देखो एगंत ।
२)। ५ अन्य, दूसरा; 'एवमेगे वदति मोसा' [ पक्ष] १ असहाय (राज)। २ ऐकान्तिक, एक्कक्क वि [एकैक] हर एक, प्रत्येक (पएह १, २)। ६ समान, सदृश, तुल्य अविरुद्ध (सूत्र १, १२)। पन्नास स्त्रीन (नाट)।
(उवा)। इय देखो एगः 'अत्थेगइयारणं [पञ्चाशत् ] एकावन, पचास और एक । एक्कक्कम [दे] देखो एककेक्कम (से ५,
नेरइयारणं एगं पलिमोवमं ठिई पन्नत्ता' (सम पन्नासइम वि [पञ्चाशत्तम एकावनवां,
२; ठा ७ औप)। "इय वि [क] अकेला, ५१ वाँ (पउम ५१, २८)। पाइअ वि एक्कासित्थ न [एकसिक्थ] तपो-विशेष एकाकी (भग)। ओ अ [तस्] एक | [पादिक] एक पाँव ऊँचा रखनेवाला (पव २७१)
तरफ (कप्प)। क्खरिय वि [क्षरिक] (आतापना में) (कस )। पासग घि एक्कग्ग देखो एग-ग्ग = एक-क (कुप्र ७६) एक अक्षरवाला (नाम) (अणु)। खंधी [पार्श्वक ] एक ही पावं की भूमि से एक्कघरिल्ल पुं [दे] देवर, पति का छोटा
स्त्री [स्कन्ध] एक स्कन्धवाला (वृक्ष वगैरह) सम्बन्ध रखनेवाला (मातापना में) (पएह भाई (दे १, १४६) TV
(जीव ३)। खुर वि [खुर] एक खुरवाला २, १)। पासिय वि [पाश्विक] देखो एक्कणड पुं[दे] कथक, कथा कहनेवाला (दे
(गौ वगैरह पशु) (परण १)। ग वि पूर्वोक्त अर्थ (कस)। भत्त न [ भक्त १,१४५)
[क] एकाकी, अकेला (श्रा १४)। ग्ग व्रत-विशेष, एकासन (पंचा १२)। भूय वि एक्कमुह वि [दे] १ धर्म-रहित, निधर्मी। २ | वि [प] तल्लीन, तत्पर (सुर १, ३०)। [भूत] १ एकीभूत, मिला हुभा (ठा १)। दरिद्र, निधन । ३ प्रिय, इष्ट ( दे १, १४८)। चक्खु वि [चक्षुष्क] एक अाँखवाला, २ समान (ठा १०)। "मण वि [°मनस् ] एक्कमेक वि [एकैक] प्रत्येक, हर एक एकाक्ष, काना (पएह २, ५)। चत्ताल वि एकाग्रचित्त, तल्लीन (सुर २, २२६) । (हे ३, १; षड् ; कुमा)।
[°चत्वारिंश एकतालीसवाँ (पउम ४१, मेग वि [°एक] प्रत्येक, हर एक (सम एकल वि [दे] प्रबल, बलवान् ( षड्) V ७६)। °चर वि [°चर] एकाकी विहरने- ६७)। य वि [क] एकाकी, अकेला एक्कल्लपुडिंग न [दे] विरल-बिन्दु-वृष्टि, अल्प वाला (प्राचा)। चरिया स्त्री [°चर्या] (दस ५)। यवि [ग] अकेला जानेवाला बिन्दुवाली बारिश (दे १, १४७)V - एकाकी विहरना (आचा)। चारि वि (उत्त ३) । यर वि [तर] दो में से कोई
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