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पाइअसहमहण्णवो
अस्थुरण-अद्दहिय अत्थुरण न [दे. आस्तरण] बिछौना (स अन्धा । २ असर्वज्ञ, 'अदक्खुव ! दक्खुवाहियं राजा । ३ एक प्रसिद्ध राजकुमार और पीछे से
सद्दहसु अदक्खुदसणा' (सूत्र १, २, ३)। जैन मुनि । ४ वि. आदराजा के वंशज । ५ अस्थुरिय वि [दे. आस्तृत] बिछाया हुआ अदण न [अदन] भोजन (बृह १)। नगर-विशेष (सूम २, ६)। कुमार पुं (स २३९, दे १, ११३)।
अदत्त वि [अदत्त नहीं दिया हुआ (पएण [कुमार] एक राजकुगार और बाद में जैन अत्थुवड न [दे] भल्लातक, भिलावा वृक्ष का । १, ३)। हार विहार] चौर (पाचा)। मुनिः 'पद्दकुमारो दढप्पहारी प्र' (पडि) । फल (दे १,२३)।
हारि वि [ हारिन्] चोर (सूत्र १,५,१) । "मुत्था स्त्री [मुस्ता] कन्द-विशेष, नागर अत्येक वि [दे] आकस्मिक, अचिन्तित (से दाण न [दान] चोरो (सम १०)। मोथा (ध २०)। मलग न [मलक] १ १२, ४७)।
दागवेरमनन [दानविरमण] चोरी से हरा मामला। २ पोलु-वृक्ष को कली (धर्म अत्थोग्गह देखो अस्थुग्गह (सम ११)। निवृत्ति, तृतीय व्रत (पएह २, ३)। २)। ३ शरण वृक्ष को कलो (पव ४)। रिद्र अत्थोग्गहण देखो अत्थुग्गहण (भग ११, अदन्न देखो जरा सिरि ३१०)। पुं[रिष्ट] कमल कोया (आवम) । अदब्भ वि [अदभ्र अनल, बहुत (जं ३)।
अद्द पुं [अब्द] १ मेघ, वर्षा, बारिश (हे २, अत्योडिग वि [दे] प्राकृट, खोंचा हुआ | अदय वि [अदय] निर्दय, निष्ठुर (निचू २)।
७६)। २ वर्ष, संवत्सर, संवत् (सुर १३, (महा)। अदिइ देखो अइइ (ठा २, ३)।
७०)। अत्थोभय वि [अस्तोभक] 'उत', 'वै' आदि अदिण्ण देखो अदत्त (ठा १)।
अद्द पुं[अर्द] अाकाश (भग २०, २)। निरर्थक शब्दों के प्रयोग से प्रदुषित (सूत्र) आदित्त वि [अहम] १ दर्ष-रहित, नम्र (बृह
१)। २ अहिंसक (प्रोष ३०२)। (बृह १)।
अद्द पुन [दे] १ परिहास । २ वर्णन (संक्षि अत्थोवग्गह देखो अत्थुग्गह (पराण १५)। | अदिन्न देखो अदत्त (सम १०)। अथक्क न [दे] १ प्रकाण्ड, अनवसर, प्रक
अदिस्स देखो अदिस्स (सम ६०; सुपा | अद्द सक [अ] मारना, पीटना (वव १०)। स्मात् ( षड् )। २ वि. पसरनेवाला, फैलने- | १५३)।
अद्दइअ न [अद्वैत] १ भेद का प्रभाव । २ वाला (कुमा)।
अदिहि स्त्री [अधृति अधीराई, धीरज का वि. भेद-रहित ब्रह्म वगैरह (नाट)। अथव्वण पुं [अथर्वण] चौथा वेद-शास्त्र अभाव (पान)।
अद्दइज वि [आर्दीय] १आद्रकुमार-सम्बन्धी। (कप्प; गाया १, ५)।
अदीण वि [अदीन] दीनता-रहित। सत्तु २ इस नाम का 'सूत्रकृताङ्ग सूत्र का एक अथिर वि [अस्थिर] १ चंचल, चपल,
पुं[शत्रु] हस्तिनापुर का एक राजा (णाया | अध्ययन (सूत्र २, ६)।
। १,८)। (कुमा)। २ अनित्य, विनश्वर (कुमा)। ३
अइंसण न [अदर्शन] १ दर्शन का निषेध, अढ़, शिथिल (ोघ) । ४ निर्बल (वव २)। अदु अ [दे] १ अानन्तयं-सूचक अव्यय, अब
नहीं देखना (सुर ७, २४८)। २ वि. परोक्ष, (प्राचा) । २ इससे (सूत्र १, २, २)। ५ मजबूती से नहीं बैठा हुआ, नहीं जमा हुआ
जिसका दर्शन न हो; “एक्कपएच्चिय हाहिति अदु अ [दे] १ अथवा, या (सूप १, ४, (अभ्यास); 'अथिरस्स पुवगहियस्स, वत्तणा जं
मझ सदसणा इण्हि' (सुपा ६१७) । ३ इह थिरीकरणं' (एंचा १२) । णाम न २, १५, उत्त ८, १२: दसवू २, १४)। २
नहीं देखनेवाला, अन्धा। ४ थीणद्धी' या अधम [नामन्] नाम-कर्म का एक भेद (सम ६७) । अधिकारान्तर का सूचक (सूत्र १, ४, २,
निद्रा वाला (गच्छ १; पव १०७)। भूअ, अद सक [अ] खाना, भोजन करना।
हूय वि [भूत जो अदृश्य हुआ हो अदुत्तरं प्र[दे] प्रानन्तर्य-सूचक अव्यय, अब, अदइ, अदर (षड्)।
(सुर १०, ५६, महा)। बाद (गाया १,१)।
अद्दण । वि [दे] आकुल, व्याकुल (दे १, अदंसण देखो अईसण (पंचभा)।
अदुय न [अद्रन] अ-शीघ्र, धीरे-धीरे (भग अद्दण्ण १५ बृह १, निचू १०)। अदंसण पुं [दे] चोर, डाकू (दे १, २६, ७,९) °बंधण न [बन्धन] दीर्घ काल के अद्दन्न देखो अद्दण्ण (सुख १, १४)। षड्)। लिए बन्धन (सूत्र २, २)।
अद्दव वि [आद्रव] गला हुआ (आव ६)। अदंसिया स्त्री [अदंशिका] एक प्रकार की अदुव [दे] या, अथवा, औरः 'हिसेज
अद्दव्य न [अद्रव्य अवस्तु, वस्तु का प्रभाव; मीठी चीज (पएण १७)। अदुवा पारगभूयाई, तसे अदुव थावरे' (दस
(पंचा ३)। अदक्खु वि [अदृष्ट] १ नहीं देखा हुआ । २ ५,५ प्राचा)।
अद्दह सक [आ+ द्रह] उबालना, पानी-तैल असर्वज्ञ (सूम १, २, ३)।
अदोलि वि अदोलिन् स्थिर, निश्चल वगैरह को खूब गरम करना। प्रद्दहे इ, अद्दअदक्खु वि [अदक्ष] अनिपुण, अकुशल अदोलिर) (कुमा)।
हेमिः संकृ. अद्दद्देत्ता (उवा)। (सून १,२, ३)।
अद्द वि [आर्द्र] १ गोला, भीगा हुआ, अक- अद्दहिय वि [आहित] रखा हुआ, स्थापित अदक्खु वि [अदृश्य] १ नहीं देखनेवाला, ठिन (कुमा)। २ पुं. इस नाम का एक (विपा १, ६)।
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