________________ क 642 पाइअसहमहण्णवो हरि-हलबोल राजा (पउम 12, 2) / 2 नन्दीश्वर द्वीप के हरिडय पुं [हरितक] कोंकण देश-प्रसिद्ध हरिसाइय वि [हर्षित] हर्ष-प्राप्त (पउम अपराध का अधिष्ठाता देव (जीव 3, 4) / वृक्ष-विशेष (पएण 1-- पत्र 31) / 61,72) / 'सह देखो स्सह (राज)। सेण पुं["षेण] हरिण [हरिण] 1 हिरन, मृग (कुमा)। हरिसाल देखो सरिसाल = हर्ष-वत् / 1 दशा चक्रवर्ती राजा (सम 68152) / / 2 छन्द का एक भेद (पिंग)। "च्छी स्त्री हरिसिअ वि [हषित] हर्ष-प्राप्त, मानन्दित 2 भगवान् नमिनाथजी का प्रथम श्रावक क्षी] सुन्दर नेत्रवाली स्त्री (कप्पू)। रि (प्रौप; भविः महा सण)। (विचार 378) / "स्सह पुं[सह] 1 [ारि] सिंह (उप पृ 26) / हिव पुं हरी देखो हिरी (सून 1, 13, 6; भग)। विद्युत्कुमार-देवों को दक्षिण दिशा का इन्द्र [धिप वहीं (हे 3, 180) / हराडई देखो हरडई (प्राकृ 12) / (ठा 2, ३-पत्र 84, इक)। माल्यवन्त हरिणकहिरिणाङा चन्द्र, चांद (हे 3, हरे अ[अरे] इन अर्थों का सूचक अव्ययपर्वत का एक शिखर (ठा :--पत्र 454) / 180; कप्पू, सण)। 1 आक्षेप, निन्दा। 2 संभाषण / 3 रति-कलह हरि पुं[हरित् ] 1 हरा रंग, वर्ण-विशेष / हरिणंकुस पु[हरिणाङ्कश] चौथे वलदेव के / (हे 2, 202; कुमाः स 430; पि 338) / 2 वि. हरा रंगवाला (णाया 1, 16 पत्र ___ गुरु एक जैन मुनि (पउम 20, 205) / हरेडगी देखो हरीडई (पंचा 10, 25) / 228) / 3 स्त्री. एक महा-नदी (सम 27; हरिणगवेसि देखो हरिणेगमेसि (पउम 3, हरेणुया स्त्री [हरेणुका] प्रियुगु, मालकांगनी इका ठा 2, ३-पत्र 72) / 4 षड्ज ग्राम (उत्तनि 3) / की एक मूछना (ठा ७-पत्र 363) / हरिणी स्त्री [हरिणी] 1 मादा हिरन, हिरनी | हरेस सक [हष्] गति करना (नाटपवात, पवाय पु [प्रपात] एक द्रह, (पात्र) / 2 छन्द-विशेष (पिंग)। वेणी 67) / जहाँ से हरित् नदी निकलती है (ठा 2, 3 हरिणेगमेसि पु [हरिनैगमैपिन्] शक्र के हल न [हल] हर, जिससे खेत जोतते हैं पत्र 72; टी-पत्र७५) / पदाति-सैन्य का अधिपति देव (ठा 5,1- (उवाः प्रौप)। उत्तय पुंन [युक्तक] हरि' देखो हिरि' (भग; पि 68 उत्त 32, 302; अंत 7 इक)। हल जोतनाः 'असुभे समयम्मि को तेणं 103) / हरिदा देखो हलिद्दा (पि 375) / हलउत्तमो खित्ते' (सुपा 237 236, सुर हरिअ [हरित] 1 वर्ण-विशेषः हरा रंग / हरिमंथ दे] काला चना, अन्न-विशेष 2, 77) / "कुड्डाल, कुदाल पुं["कुद्दाल] 2 वि. हरा वर्णवाला (प्रौपा गाया 1. 1 (था 18 पव 156, संबोध 43; दे 8,70 / हल के ऊपर का भाग (उवा)। धर पुं टी--पत्र 4; 1, ७-पत्र 196; से 8, टि)। देखो हिरिमंथ। [धर] बलदेव, राम (पएण १७--पत्र 46; गा 665) / 3 पुं. एक प्रार्य मनुष्य- हरिमिग्ग पुं [दे] लगुड, लट्ठी, लाठी, डंडा 526 दे 2, 55) / धारण पुं[ धारण] जाति (ठा ६-पत्र 358) / 4 पुंन. बलभद्र, राम (पउम 117, 6) / वाहग वनस्पति-विशेष, हरा तृण, सब्जी (पएण हरियंदपुर न [हरिचन्द्रपुर] गंधर्वनगर | वि [वाहक] हालिक, हल जोतनेवाला १-पत्र 30, औष, पान; पंच 2, 50 (चउप्पन्न ऋषभचरिचत्र)। (श्रा 23) / हर देखो धर (सम 113; दस 10, 3) / हरिली देखो हिरिली (उत्त 36, 98) / पव-गाथा 48; प्रौपः कुप्र 257) / हरिअ देखो हिअ = हूत (कस: महा)। हरिल्ल वि [भरवत् ] भारवाला, बोझवाला | उह पुं [आयुध] बलभद्र, राम (पउम हरिअ देखो भरिअ= भरित (गा 632) / (गा 545) / 38, 23; 76, 26) / हरिअग) न [हरितक] जीरा आदि के हरिस प्रक[हष1 खुशी होना। हरिसइ | हल देखो फल फल (सुपा 366, भवि; हरिअय / पत्तों से बना हुआ भोज्य विशेष तो से बना हुआ भोज्य विशेष (हे 4, 235; प्राप्रः षड् ); 'हरिसिजइ त्रि 103) / (पव 256; सुज 20 टी)। / कयतावो रुद्दज्झारणोवगयचित्तो' (संबोध 46) / हलअ (मा) देखो हिअय = हृदय (चारु 11; हरिआ स्त्री [हारता] दूर्वा, दूब, तृण-विशेष हरिस सक [हर्ष हर्ष से रोम खड़ा करना, नाट--मृच्छ 21) / (से 7, 56, 6, 31) / 'लोमादियं पि ण हरिसे सुन्नागारगप्रो मुणी' हल उत्तय देखो हल उत्तय / हरिआ देखो हिरि (कुमा)। (सूत्र 1, 2,2, 16) / हलद्दा / देखो हलिद्दा (हे 1, 88 कुमा; हरिआल देखो हरि-आल / हरिस पुं [हर्ष] 1 सुख / 2 आनन्द, प्रमोद, हलद्दो षड्)। हरिआली स्त्री [दे. हरिताली] दूर्वा, दूब खुशी (हे 2, 105, प्राप्र; कुमाः भग) / 3 | हलप्प वि [दे] बहु-भाषी, वाचाल (दे (दे 8, 64 पान अंत; कप्पा अणु 23) / | आभूषण-विशेष (प्रौप) / °उर [पुर] 8, 61) / हरिएस देखो हरि-एस। एक जैन गच्छ (सुपा 658) / ल वि हलबोल [दे] कलकल, शोरगुल, कोलाहल हरिचंदण देखो हरि-चंदण। [वत् ] हर्ष-युक्त (प्राकृ 35) / (दे८, 64; पान, कुमाः सुपा 87; 132, हरिचंदण न [दे. हरिचन्दन] कुंकुम, केसर हरिसण पुं [हर्षेण] ज्योतिष-प्रसिद्ध एक हट्ठि 140; कुप्र 362 सिरि 433 सम्मत्त (दे 8, 65) / योग (सुपा 108) / 122) / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org