________________ पाइअसद्दमहण्णवो 643 लहर देखो हल-हर-हल-घर / हलुअ वि [लघुक] हलका (हे 2, 122; हल्लोहलिअ देखो हल्लप्फलिअ (सिरि 6640 हलहल देखो हव्हड =(दे) / (गा 21) / स 745) / 634 भवि)। हलहल / पुन [] 1 तुमुल, कोलाहल, हलर वि [दे] सतृष्ण, सस्पृह (दे 8, 62) / हल्लोहलिय पुंसी [दे] सरट, गिरगिट / स्त्री. हलहल शोरगुल (दे. 6, 74, से 12, | हल अहला ह साख, सखा का सबाधन या (कप्प)। 186) 2 कौतुक, कुतुहल (दे. 1874 (हे 2, 165 कुमा)। हव अक [ भू] 1 होना। 2 सक. प्राप्त सावरा हडबडी. हलफल, हल्ल अक [दे] हिलना, चलना। हल्लंति करना / हवइ हवेइ. हवंति (हे 4, 60 शीता; हलहलयो सरा' (पाम स७०४) / (सट्टि 68) / वकृ. हलंत (उबकु 21, सुपा कप्पः उव: महा ठा 3, १-पत्र 106); 4 पौत्सुक्य उत्कंठा (गा 21 780)" 34; 223; वज्जा 40; से 8, 45) / 'कि इक्खुवाडमज्झट्टिो नलो हवइ महुरत्त' हलहलिअविदेरी कम्पित कापाया हल्ल पुं [हल्] एक अनुत्तर-गामी जैन मुनि (धर्मवि 17), हवेज्ज, हवेज्जा (पि 475) / | (अनु 2: पडि)। वकृ. हवंत, हवेमाण ( षड्)। हला पहला] सखी का आमन्त्रण, हे सखि | हल्लअ न [हल्क] पद्म-विशेष, रक्त कहार हव देखो भव = भव (उप 464) / (हे 2, 165 स्वप्न 40 अभि 26 कुमा; (विक्र 23) / हवण न [हवन] होम (विसे 1562) / गा 43:; सुपा:४६) हल्लपविअ वि [दे त्वरित, शीघ्र ( षड्) / हलाहल न हलाहल] एक प्रकार का उग्र | हवि पुंन [हविस ] 1 धृत, घो। 2 हलफल न [दे] 1 हलफल, हड़बड़ी, हवनीय वस्तु (स; 714, दसनि 1, जहर, विष-विशेष (प्रासू 38) / औत्सुक्य, त्वरा, शीव्रता (हे 2, 174; स 104) / हलाहला स्त्री [दे] बंभणिका, बाम्हनी, जन्तु- 602; कुमा)। 2 आकुलता; 'अह उवसंते हविअ वि [दे] म्रक्षित, चुपड़ा हुआ (दे 5, "विशेष (दे८,६३)। करिणो हल्लप्फलए' (सुपा 636) / 3 22; 8, 62) / हाल ' [हलिन] बलराम, बलभद्र (पउम वि. कम्पनशील, कॉपता, चञ्चल; 'पास हव्व वि [हव्य] हवनीय पदार्थ, होम-योग्य ट्ठिोवि दीवो सहसा हल्लप्फलो जाओ' 70, 35; कुप्र 101) / वस्तु (सुपा 163) / वह पुं[वह अग्नि, (वज्जा 66) / हलिअ वि [हालिक] हल जोतनेवाला, कृषक हल्लप्फलिअ वि [दे] 1 शीघ्र, जल्दी। 2 पाग (उप 567 टी; सुपा 416, गउड)। (हे 1; 67: पात्र; प्राप्र; गा 17 317) वाह पुं [वाह] वही (प्राचाः पायः न. आकुलता, व्याकुलपन (दे 8, 56) / 3 वि. व्याकुल (धर्मवि 56) / सम्मत्त 228; वेणी १६२दस 6, 35) / "हलिअ देखी फलिअ (गा ) / हव्य वि [ अर्वाच्] 1 अवर, पर से अन्यः हल्लफल देखो हल्लप्फल (गा 76) / हलिआ स्त्री [हलिका] 1 छिपकली। 2 'नो हव्वाए नो पाराए' (प्राचाः सूत्र 2, 1, हल्लप्फलिअ देखो हलप्फलिअ; 'विमलो बाम्हनी, जन्तु-विशेष (कप्प)। 1810:16; 24, 28, 33) / 2 न. आह लोहेण, तो हल्लफलियो इम' (श्रा 12) / हलिआर देखो हरि-आल = हरि-ताल (हे शीघ्र, जल्दी (गाया १,१-पत्र 31; उवा; हल्लाविय वि [दे] हिलाया हुआ (सुर 3, सम 56; विपा 1, १-पत्र 8; ती 10; हलिद पुं हरिद्र, हारिद्र] 1 वृक्ष-विशेष प्रौप; कप्प; कस)। 3 न. गृहवास (सूत्रहल्लिअ वि [दे] हिला हुअा, चलित (दे 8, (हे 1, 254; गा 863) / 2 वर्ण-विशेष, कु० 2.1.6 चूरिण)। 62; भवि)। पीला रंग। 3 न. नाम-कर्म का एक भेद, हव्य देखो भव्व = भव्य (गा 360, 420 जिसके उदय से जीव का शरीर हल्दी के हल्लिर वि [दे] चलन-शील, हिलनेवाला (स समान पीला होता है, वह कर्म (कम्म 1, 578; कुप्र 351) / हस अक [ हस ] : हँसना, हास्य करना। 4) / "पत्त पु["पत्र] चतुरिन्द्रिय जन्तु हल्लास पुं [दे] रासक, मण्डलाकार होकर | 2 सक. उपहास करना, मजाक करना। की एक जाति (परण १-पत्र 46) / स्त्रियों का नाच (दे८, 61; भवि)। / हसइ, हसेइ, हसए, हसंति, हससि, हससे, मन्छ [ मत्स्य] मछलो की एक जाति हल्लत्ताल न [दे] शीघ्रता, जल्दी स्वराः / हसिस्था, हसह, हसामि, हसमि, हसामो, (परण :--पत्र 47) / हल्लत्तावल, गुजराती में 'उतावळ' (भविः / हसामु, हसाम, हसेम, हसेम (हे 3, 136; हलिहा। स्त्री [हरिद्रा] औषधि-विशेष, हल्दी सुर 15, 88) / 140; 141, 142, 143, 144; 154; हलिद्दी / (हे. 1, 88 254 गा 58 80 हलुप्फलिय देखो हटुप्फलिअ (जय 12) / 158 कुमा)। हसेउ हसंतु, हससु, हसेजसु, हल्लोहल देखो हल्लप्फल (उप पृ 77 था हसेजहि, हसेज्जे, हसेज्ज, हसेज्जा (हे 3, / हलीसागर [हलिसागर मत्स्य की एक | 16; हे 4 ६६उप 728 टीः सुख 18, 158,173; 175; 176) / भवि. हसिहिइ जाति (परण १-पत्र 47) / | 37; महा भवि)। हसिस्सामो, हसिहिमो, हसिहिस्सा, हसिहित्या, Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org