________________ हरअई-हरि पाइअसहमहण्णवो 641 हरअई, स्त्री [हरीतकी] 1 हर का गाछ। 226; श्रु 86) / विष्णु, श्रीकृष्ण (गा केशबल नामक मुनि का (उत्त 12) / कंखि हरडई 2 फल-विशेष, हरे (षड्; हे 1, 406, 411, सुपा 143) / 5 रामचन्द्र न [काशिन्] नगर-विशेष (ती 27) / 96 कुमा)। (से 6, 31) / 6 सिंह, मृगेन्द्र (से 6, 31; कंत पु[कान्त] विद्यु कुमार देवों की हरण न [हरण] 1 छीनना (सुपा 18:436; कुमा कुप्र 346) / 7 वानर, बन्दर (से 4, दक्षिण दिशा का इन्द्र (इक)। कंतपधाय, कुमा)। 2 वि. छीननेवाला (कुप्र 114 25, 6, 22; धर्मवि 51; सम्मत्त 222) / कंतप्पवाय पु [कान्ताप्रपात] एक द्रह 8 अश्व, घोड़ा (उप 1031 टी ती 8 कुप्र (ठा 2, ३--पत्र 72, टी-पत्र 75) / धर्मवि 3) / 23 सुख 4, 6) / 6 भारत के साथ जैन | कंता स्त्री [कान्ता] 1 एक महा-नदी (ठा हरण न [ग्रहण] स्वीकार (कुमा)। दीक्षा लेनेवाला एक राजा (पउम 85, 4) / 2, ३-पत्र 72; सम 27; इक)। 2 हरण न [स्मरण] स्मृति, याद; 10 ज्योतिषशास्त्र-प्र सद्ध एक योग; 'गुरुहरि- महाहिमवान् पर्वत का एक शिखर (इका ठा 'अलिअकुविधपि कसमंतुअंव विठे गंडविइवाए' (संबोध 54) / 11 ८-पत्र 436) / केलि पु [ केलि] में जेसु सुहम अणुर्णेतो। छन्द का एक भेद (पिंग)। 12 सर्प, साँप / भारतीय देश-विशेष (कप्पू) / केसवल देखो ताण दिग्रहाण हरणे रुग्रामि, 13 भेक, मण्डूक / 14 चन्द्र / 15 सूर्य / 'एसबल (कुलक 31)-1 केसि j ण उणो अहं कुविना 16 वायु, पवन / 17 यम, जमराज / 18 [केशिन] एक जैन मुनि (श्रु 140) / (गा 641) हर, महादेव / 16 ब्रह्मा / 20 किरण / गीअ न [गीत] छन्द का एक भेद (पिंग)। 'हरण देखो भरण (गा 527 अ) 21 वर्ष-विशेष / 22 मयूर, मोर / 23 'ग्गीव पुं [ग्रीव] राक्षस-वंश का एक हरतणु पुहिरननु] खेत में बोये हुए गेहूँ, कोकिल, कोयल / 24 भतृहरि नामक एक | राजा (पउम 5, 260) / चंद पुं[चन्द्र] जौ आदि के बालों पर होता जल-बिन्दु विद्वान् / 25 पीला रंग / 26 पिंगल वर्ण / 1 विद्याधर-वंश का एक राजा (पउम 5, (कप्प; चेइय 373; जी 5) / 27 हरा रंग। 28 वि. पीत वर्णवाला / 44) / 2 एक विद्याधर-कुमार (महा)। हरद देखो हरय (भग)। 26 पिंगल वर्णवाला (हे 3, 38) / 30 चंदण पुं[चन्दन] 1 एक अन्तकृद् जैन हरपच्चुअ वि [दे] 1 स्मृत, याद किया हरा वर्णवाला; 'हरिमणिसरिच्छरिणअरुई मुनि (अंत 18) / 2 देखो अंदण (प्रासू हुआ। 2 नाम के उद्देश से दिया हुआ (दे (अच्चु 32) / 31 पुंन. महाहिमवंत पर्वत 145; स 346) / °णयर न [ नगर] 8, 74) / का एक शिखर (ठा -पत्र 436) / 32 वैतान्य की दक्षिण-श्रोणि में स्थित एक हरय ह्रद] बड़ा जलाशय, द्रह (प्राचा; विद्युत्प्रभ पर्वत, का एक शिखर (ठा &; इक)। | विद्याधर-नगर (इक) / ताल पुं ["ताल] भगः परह 2, ५-पत्र 146% उत्त 12, 33 निषध पर्वत का एक शिखर (ठा - द्वीप-विशेष (इक)। देखो आल + दास 45 46 हे 2, 120) / पत्र 454, इक) / 34 हरिवर्ष-क्षेत्र का | पू[दास] एक वणिक् का नाम (पउम 5, हरहरा स्त्री [दे] युक्त प्रसंग, योग्य अवसर, मनुष्य-विशेष (कप्प)। अंद [श्चन्द्र] 83) / धणु न [ धनुष ] इन्द्र-धनुष स्वनाम प्रसिद्ध एक राजा (हे 2, 87 षड्: (उप 567 टी)। "पुरी स्त्री [पुरी] इन्द्रउचित प्रस्ताव 'निमगं च गामं महिलागउड; कुमा)। अंदण न [°चन्दन] 1 पुरी, अमरावती, स्वर्ग (सुपा 635) + भद्द पुं[भद्र] एक सुविख्यात जैन प्राचार्य तथा चन्दन की एक जाति (से 7, 37; गउड; थूभं च सुरणयं दट्ट। नीयं च काया प्रोलिति सुर 16, 14) / 2 पुं. एक तरह का कल्प- ग्रन्थकार (चेश्य 34 उप 1039, सुपा 1) / ___ जाया भिक्खस्स हरहरा' वृक्ष (सुपा 87 गउड)। देखो चंदण / - मंथ ( [मन्थ] धान्य विशेष, काला चना (विसे 2064) / 'अण्ण देखो अंद (संक्षि 17) / आल (श्रा 18 पव 156; संबोध 43) / मेला पुंन ["ताल] 1 पीत वर्णवाली उपधातु- | हरहराइय न [हरहरायित] 'हर हर' आवाज स्त्री [ मेला] वृक्ष-विशेष (प्रौप) + वइ पुं विशेष, हरताल (णाया १,१-पत्र 24; (पएह 1, ३-पत्र 45) / [पति वानर-पति, सुग्रीव (से 1,16) / जी 3 पव 155, कुमाः उत्त 34, 8, 36, वंस [वंश] एक सुप्रसिद्ध क्षत्रिय-कुल हराविअ वि [हारित] हराया हुआ, जिसका 75) / 2 . पक्षि-विशेष (हे 2, 121) / (कप्प, पउम 5, 2) + वस्सः वास पुं पराभव किया गया हो वह (हे 4, 406) / देखो ताल / "एस पुं [केश] 1 चंडाल [वर्ष] 1 क्षेत्र-विशेष (मणु 161; ठा 2, हरि दे हरि शुक, तोता (दे 8, 56) / (ोघ 766, सुख 6, 1; महा)। 2 एक ३-पत्र 67) सम 12 पउम 102, 106; हरि पुं [हरि] 1 विद्युत्कुमार-देवों की दक्षिण चण्डाल मुनि (उत्त 12) / एसबल पु इक) / 2 पुंन. महाहिमवान् पर्वत का एक दिशा का इन्द्र (ठा 2, ३-पत्र 84) / 2 [ केशबल] चण्डालकुलोत्पन्न एक मुनि शिखर (ठा ८–पत्र 436) / 3 निषष पर्वत एक महाग्रह (ठा 2, ३–पत्र 78) / 3 (उव; उत्त 12, 1) एसिज्ज वि | का एक शिखर (ठा--पत्र 454 इक)। इन्द्र, देव-राज (कुमा; कुप्र 23, सम्मत्त / [केशीय] 1 चण्डाल-संबन्धी। 2 हरि- वाहण पुं[वाहन] 1 मथुरा का एक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org