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कोशमां अर्थनिर्णय परत्वे मददरूप थई छे. संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी,सर मॉनिएर-विलिअम्झ, प्रका. मारवाह पब्लिकेशन्स, न्यू दिल्ही, १९६६ (पुनर्मुद्रण).
आ कोशमां संस्कृत शब्दो नागरी तेमज रोमन लिपिमां आपेला छे, जोके मुख्य शब्दना पेटामां आवता सामासिक शब्दो केवळ रोमन लिपिमा आपेला छे. अर्थो अंग्रेजी भाषामां छे. शब्द जे-ते अर्थमा ज्यां वपरायो छे ते कृतिओ पण निर्देशी छे. उपरांत, अन्य शब्दकोशो वगेरेमाथी मळता शब्दो पण समावी लीधा छे. आम आ कोश सर्वग्राही थवा जाय छे. आ कोशना शब्दक्रमनी एक लाक्षणिकता खास ध्यानमा राखवा जेवी छे के एमां मूळ धातु परथी साधित थयेला शब्दो, एना वर्णानुक्रमने बदले, धातु पछी तरत आपवामां आव्या छे. जेमके कृपछी करण, कर्तृ वगैरे. आ संवर्धित आवृत्तिमां आशरे १,८०,००० शब्दो छे. थोडा शब्दो पूर्ति रूपे छे.
सर्वग्राही कोश होवाने कारणे केटलाक विरल शब्दोनां स्वरूप अने अर्थनी चावी एमांथी मळी छे. संस्कृत साहित्यमां वनस्पति, बापालाल ग. वैद्य, गुजरात विद्यासभा, अमदावाद, १९५३.
आम तो, आमां जुदीजुदी वनस्पतिओ संस्कृत साहित्यमा क्यांक्यां निर्देशाई छ ए पंक्तिओ उद्धृत करीने दर्शाव्युं छे. साथे ए वनस्पतिनी लाक्षणिकताओ वर्णवी छे, एनां संस्कृत नामान्तरो नोंध्यां छे अने गुजराती वगेरे भाषाओणां ए वनस्पति कये नामे ओळखाय छे ते पण बताव्युं छे. अनुक्रम अकारादि क्रमे छे तेमां १९० वनस्पतिओ उल्लेखाय छे, परंतु पाछळनी शब्दसूचिमा संस्कृत उपरांत गुजराती वगैरेनां वनस्पतिनामो आवरी लेवायां छे. एमां १८०० उपरांत शब्दो छे, जेमां थोडा ग्रंथ, व्यक्ति वगैरेनां नामो छे.
__ वर्णनात्मक होवाने कारणे आ ग्रंथ केटलांक वनस्पतिनामोने ओळखवामां विशेष उपयोगी थयो छे. संस्कृत-हिन्दी कोश, (छात्र-संस्करण), वामन शिवराम आप्टे, प्रका. नाग प्रकाशक, दिल्ली, १९८८ (पुनः मुद्रित संस्करण)
__ आ कोशमां संस्कृत शब्दोनु घडतर दर्शाववामां आव्युं छे, एना हिन्दी अर्थो आपवामां आव्या छे अने शब्दो ज्यां वपराया छे ए कृतिओना निर्देशो पण छे. केटलीक वार पंक्ति पण उद्धृत थई छे. कोशमां आशरे २५,००० शब्दो छे. शब्दना पेटामां मुकायेला सामासिक वगेरे शब्दो जुदा. परिशिष्ट रूपे ५००० शब्दो पाछळथी उमेरायेला छे.
खास करीने संस्कृत मूळना मध्यकालीन शब्दोना योग्य आधुनिक पर्यायो
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