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छे, जोके आ शब्दो परत्वे आ बीजा भागना सांस्कृतिक अध्ययननो पृष्ठांक आपी शकायो नथी ए अगवड रही गई छे. सामान्य शब्दोना अर्थ माटे तो ए ज्यां वपरायो छे ते स्थान जोतां संदर्भ परथी घणी वार अर्थ ऊकले छे. पहेला भागमां परिशिष्ट २ तरीके मुकायेल क्रयाणक-वस्त्र आभरण नामावलिना शब्दो सूचिमां आव्या नथी.. विषयवार शब्दसूचिमां आववा जोईता थोडा शब्दो सामान्य शब्दसूचिमां रही गया छे. विषयवार शब्दसूचिमां ३५०० जेटला अने सामान्य शब्दसूचिमां २८०० जेटला शब्दो ठे.
मध्यकालीन गुजरातीना केटलाक शब्दोना उक्तिप्रयोगो आ ग्रंथमांथी मळे छे ए रीते एणे अर्थनिर्णयमा घणी वार मदद करी छे. व्युत्पत्तिविचार, हरिवल्लभ भायाणी, प्रका. युनिवर्सिटी ग्रंथनिर्माण बॉर्ड, अमदावाद,
१९७५.
आ ग्रंथना बीजा खंडमां संस्कृतथी अर्वाचीन गुजराती सुधीना ध्वनिविकासमां जोवा मळता नियमो उदाहरण सहित आपवामां आव्या छे अने त्रीजा खंडमां केटलाक शब्दो विशे व्युत्पत्ति ने अर्थविषयक नोंधो छे बन्नेमां आवता गुजराती शब्दोनी अकारादि सूचि पाछळ पृष्ठांकनिर्देश साथे आपी छे. ते द्वारा शब्दनां व्युत्पत्ति ने अर्थ सुधी पहोंची शकाय छे. शब्दसूचिमां १४०० उपरांत शब्दो छे.
आमांनी घणी व्युत्पत्तिओ तो 'गुजराती भाषा लघु व्युत्पत्तिकोश' मां हवे अकारादिक्रमे प्राप्त थई छे, पण शब्दार्थ-विषयक नोंधोनी पोतानी जुदी उपयोगिता छे, जेनो लाभ आ संकलित कोशमां लेवामां आव्यो छे.
शब्दकथा, हरिवल्लभ भायाणी, प्रका. क. ला. स्वाध्याय मंदिर, गुजराती साहित्य परिषद, अमदावाद, १९८३.
आ पुस्तकमां शब्दोनां स्वरूप, इतिहास अने अर्थछायाविषयक नोंधो छे. एमां संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, हिंदी, मराठी वगेरे भाषाओमां जोवा मळता शब्दार्थरूपोने आवरी लेवायां छे. १५० जेटली नोंधो छे पण एक नोंधमां एकथी वधु शब्दो विशे पण चर्चा थई छे. पाछळ आपेली शब्दोनी सूचिमां उल्लेखायेला सघळा शब्दो छे ने ए २८०० जेटला छे जेमां एक शब्दना उच्चारभेदोनो पण समावेश छे.
आमां अपायेलो शब्दना स्वरूप अने अर्थनो इतिहास आ संकलित कोशमां अवारनवार सहायरूप थयो छे. शब्दपरिशीलन, हरिवल्लभ भायाणी, प्रका. गूर्जर ग्रंथरन कार्यालय, अमदावाद, १९७३. आ पुस्तकना विभाग बीजामां केटलाक प्राचीन शब्दप्रयोगो विशे नोंधो छे. नोंधो १२ छे पण एमां समाविष्ट शब्दप्रयोगो २२ जेटला छे. ए नोंधो आ संकलित
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