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वाग्भवा.
विक्रच.
विक्ररा.
विमप्र.
विराप.
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संपादनोमां पाठांतर रूपे ज रहेलां पद्योना शब्दो पण अहीं शब्दकोशमां स्थान पाम्या छे. शब्दकोश सर्वग्राही छे अने १००० जेटला शब्दोने समावे छे. शब्दोनां व्याकरणी रूप ओळखाव्यां छे अने शब्दमूळ दर्शावेल छे. समासात्मक शब्दो समास रूपे नोंधाया छे, ते उपरांत पाछळनो शब्द घणी वार अलग पण आप्यो छे. 'वंदरवाल' जेवो शब्द तो बे टुकडे 'वंदर' अने 'वाल' एम ज मळे छे.
(मेरुसुन्दर उपाध्याय कृत) वाग्भटालंकार बालावबोध, संपा. भोगीलाल ज. सांडेसरा, प्रका. महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, १९७५. बालावबोधनी रचना १४७९ (सं. १५३५) मां थयेल छे.
शब्दकोशमां १३० जेटला शब्दो छे. '०तु' जेवा प्रत्ययोनो पण एमां समावेश छे. स्थाननिर्देश एकथी वधु - क्यांक बधा ज – करेला छे. मूळ संस्कृत कृति पण आपेल होई अर्थोने चकासवानी एक सगवड मळे छे.
(राजशीलकृत) विक्रमखापराचरित्र, संपा. कनुभाई व्र. शेठ, धनवंत ति.
शाह, प्रका. समता प्रकाशन, अमदावाद, १९८२.
कृति १५०७ (सं. १५६३) मां रचायेली छे.
शब्दकोशमां १२० जेटला शब्दो छे. केटलाक शब्दो परत्वे शब्दमूळ दर्शावेल छे.
(उदयभानुकृत) विक्रमचरित्र रास, संपा. बलवंतराय ठाकोर, प्रका. महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, १९५७.
कृति १५०९ (सं. १५६५ ) मां रचायेली छे.
बलवंतराय ठाकोरना आ मरणोत्तर प्रकाशननो शब्दकोश रणजित पटेले तैयार कर्यो छे. एमां आशरे ३०० शब्दो छे. उच्चारभेदवाळा शब्दो एक मुख्य शब्दना पेटामां नोंध्या छे. तेथी 'भारोट' ना पेटामां 'भारवट्टि' मळे छे.
(लावण्यसमयविरचित) विमलप्रबंध, संपा. धीरजलाल धनजीभाई शाह, प्रका. गुजरात साहित्य सभा, अमदावाद, १९६५.
कृति १५१२ (सं. १५६८ ) मां रचायेली छे.
शब्दकोशमां ७०० उपरांत शब्दो छे. एमां '०हि' वगेरे केटलाक प्रत्ययोनो पण समावेश थाय छे. (शालिसूरिविरचित) विराटपर्व, संपा. चिमनलाल त्रिवेदी, कनुभाई शेठ,
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