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प्रेमप.
(विश्वनाथ जानीरचित) प्रेमपचीसी, संपा. महेन्द्र अ. दवे, प्रका. गूर्जर ग्रंथरल कार्यालय, अमदावाद, १९९२.
कृति रचनावर्ष धरावती नथी, परंतु कविनी अन्य बे कृतिओ १६५२ (सं.१७०८)मां रचायेली मळे छे.
शब्दकोश १५० जेटला शब्दोनो छे. एमां क्यांक वर्णक्रमभंग थयो
प्रेमाका. प्रेमानंदनी काव्यकृतिओ खंड १ अने २, संपा. केशवराम का. शास्त्री,
शिवलाल जेसलपुरा, प्रका. साहित्य-संशोधन प्रकाशन, अमदावाद, १९७८ अने १९७९.
प्रेमानंदनी कृतिओ १६६७ (संभवतः) के १६७१थी १६९०नां रचनावर्षों दर्शावे छे.
आ संग्रहमां शामळशानो विवाह प्रेमानंदनी अधिकृत रचना नथी, ए अर्वाचीन समयनी सरजत होय एवं ज जणाय छे. श्राद्ध पण प्रेमानंदनी कृति नथी पण ए मध्यकालीन तो छ ज, प्रेमानंद पछीना समयनी. ऋक्मिणीहरण, सप्तमस्कंध जेवी बीजी थोडीक कृतिओ पण प्रेमानंदनी होवा विशे शंका छे. ए पण पाछळना समयनी होवा संभव छे.
आ ग्रंथमां आशरे ३२०० शब्दोने अने रूढिप्रयोगोने समावतो मोटो कोश छे. एमां 'आणे' (=लावे), 'आदरूं' (शरू करू), 'आणु जेवा अत्यारे प्रचलित थोडा शब्दो छे ते आ संकलित कोशमां छोडी दीधा छ, ते उपरांत शामळशानो विवाह मध्यकालीन कृति न होई एना शब्दो पण
छोडी दीधा छे. मदमो. (शामळ भटकृत) मदनमोहना, संपा. हरिवल्लभ चू. भायाणी, प्रका. भारतीय
विद्याभवन, मुंबई, १९५५.
कृतिमां रचनावर्ष नथी. परंतु शामळनी अन्य कृतिओ १७१८थी १७६५नां रचनावर्षों बतावे छे.
ग्रंथमां ५०० उपरांत शब्दोने समावतो शब्दकोश छे. केटलाक
शब्दोनी व्युत्पत्ति आपी छे. मदमो-२. (शामळ भटकृत) मदनमोहना, संपा. हरिवल्लभ चू. भायाणी, प्रका. पार्श्व
प्रकाशन, अमदावाद, १९८९.
पहेली आवृत्ति तरीके ओळखायेली आ वस्तुतः बीजी आवृत्ति छे. आ आवृत्तिनो शब्दकोश एकबे स्थाने अर्थनो सुधारो बतावे छे तेटला
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