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नलरा.
नरप(द). नरसिंह महेतानां पद (अप्रकाशित), संपा. रतिलाल वि. दवे, प्रका.
लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद, १९८३.
आ संग्रहनां घणां पदोनुं भाषास्वरूप ए घणा मोडा समयनी रचनाओ होवानो संकेत करे छे.
__ शब्दकोशमां आशरे १५० शब्दो छे. (महीराजकृत) नलदवदंती-रास, संपा. भोगीलाल ज. सांडेसरा, प्रका. महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, १९५४, बीजी आवृत्ति, १९७७. __ कृति १५५६(सं.१६१२)मां रचायेली छे. एनी साथे जोडवामां आवेल अज्ञात कविकृत नलदवदंती-चरित्रमुं रचनावर्ष नथी. पण एनी एकप्रतनुं लेखनवर्ष १४८३ (सं.१५३९) छे. ए कृति पंदरमा शतकना त्रीजा चरणमां रचायेली होवानुं अनुमान थयुं छे.
बन्ने कतिओने आवरी लेता शब्दकोशमां लगभग १२०० शब्दो छे. शब्दो विशे व्युत्पत्तिविषयक तेमज अर्थविषयक नोंधो आपवामां आवी छे अने मध्यकालीन गुजराती वगेरेना प्रयोगोना आधारो पण घणा शब्दो परत्वे दर्शाव्या छे. उच्चारभेदथी आवेला शब्दो एक मुख्य शब्दना पेटामां दर्शाव्या छे. जेमके 'परिष'नो अर्थ आपी पछी एना पेटामा ‘परिषी' 'परीखडी' नोंध्या छे. आथी, देखीती रीते ज, वर्णक्रमभंग थाय. 'ख'
उच्चारवाळा पण 'ष'नी जोडणीवाळा शब्दो 'ख'ना क्रममां ज मूक्या छे. नलाख्या.: (भालणकृत) नलाख्यान, संपा. केशवराम का. शास्त्री, प्रका. महाराजा
सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, आवृत्ति बीजी १९६५.
आ कृति रचनावर्ष धरावती नथी, परंतु भालणनो जीवनकाळ सोळमी सदी पूर्वार्ध आसपासनो होवानुं अनुमान थयुं छे. . ११० पानां सुधी विस्तरता शब्दकोशमां आशरे ९०० शब्दो छे.. लगभग अशेषपणे शब्दकोश आपवानुं धार्यु जणाय छे, केमके एमां 'अजगर', 'अढार', 'अधमुआ', 'अपार', 'अभिराम' जेवा आजे जाणीता घणा शब्दो जोवा मळे छ (जे आ संकलित कोशमां लीधा नथी). शब्दो
विशे व्युत्पत्तिदर्शक, व्याकरणविषयक अने अर्थविषयक वीगते नोंध छे. नंदब. (शामळ भटकृत) नंदबत्रीसी अने कस्तुरचंदनी वारता, संपा. इंदिरा मरचंट,
रमेश जानी, प्रका. भारतीय विद्याभवन, मुंबई १९६७.
बेमांथी एकेय कृति रचनावर्ष धरावती नथी पण कस्तुरचंदनी वारता,
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