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उच्चारभेदो छ ए दर्शावती निशानी करी छे. 'ख'थी आरंभाता शब्दो 'ख'ना तेम 'ष'ना क्रममां पण मुकाया छे. शब्दोनी व्युत्पत्ति संस्कृत, अरबीफारसी वगेरेमांथी नोंधी छे. विस्तृत टिप्पणो छे तेमां पण शब्दार्थो नोंधाया छे. शुद्धिपत्रकमां शब्दसूचिना कोई शब्दार्थनो ने केटलीक व्युत्पत्तिओनो सुधारो
नोंधायो छे. नरका. नरसिंह महेतानी काव्यकृतिओ, संपा. शिवलाल जेसलपुरा, प्रका. साहित्य
संशोधन प्रकाशन, अमदावाद, १९८१.
नरसिंह महेतानी कोई कृतिमां रचनावर्ष मळतुं नथी, पण नरसिंह महेतानो समय पंदरमी सदी मानवामां आव्यो छे. जोके नरसिंहने नामे पाछळथी घj उमेरायुं होवानी शक्यता छे तेथी आ ग्रंथनो शब्दकोश पंदरमी सदीनो ज छ एम कहेवू मुश्केल छे.
शब्दकोश आशरे १३०० शब्दोने समावे छे. क्वचित पाठांतरमाथी पण शब्द लीधेल छे. 'अंतराय' "आभरण' जेवा अत्यारे वपराता थोडा
शब्दो पण एमां जोवा मळे छे. नरका-२. नरसिंह महेतानी काव्यकृतिओ, संपा. शिवलाल जेसलपुरा, प्रका. साहित्य
संशोधन प्रकाशन, अमदावाद, बीजी संशोधित आवृत्ति, १९८९.
आ आवृत्तिमा पहेली आवृत्तिमां लीधेली केटलीक कृतिओ छोडी देवामां आवी छे ने तेथी शब्दकोशमां पण केटलोक फेरफार थयो छे. पहेली आवृत्तिना थोडा शब्दो आमा नथी, थोडाक नवा संदर्भो दाखल थया छे ने क्यांक अर्थनो फेरफार पण जोवा मळे छे. आ फेरफारो पूरतो, आवश्यकता जणाई सेटलो, आ बीजी आवृत्तिना शब्दकोशनो आ संकलित कोशमा उपयोग कर्यो छे.
शब्दकोशनी शब्दसंख्या पहेली आवृत्तिथी खास फरक बतावती
नथी.
नरसैं महेताना पद, संपा. केशवराम का. शास्त्री, प्रका. गुजरात साहित्य सभा, अमदावाद, १९६४.
___ आ ग्रंथमां आशरे १६५० सुधीनी बे हस्तप्रतोमांथी ज पदो लेवामां आव्यां छे.
शब्दकोश नानकडो - आशरे ७५ शब्दोनो छे. शब्दोनी व्युत्पत्ति आपेली छे. कोईक शब्द क्रमभंगथी मुकाया छे. 'ज्योवन नाडा' शब्द छेक "धेडी पछी आवे छे ! 'चाउखने बदले 'उख' छपायुं छे.
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