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तेरमी सदी पूर्वार्धथी चौदमी सदी पूर्वार्धना गाळानी छे.
शब्दकोशमां आशरे १२५० शब्दो छे. लगभग अशेषपणे शब्दो नोंधवानुं वलण जणाय छे, तेथी 'आसो' 'आहार' 'इंद्रमंडप' जेवा शब्दो जोवा मळे छे, जेना अर्थो आपवानी संपादकने जरूर जणाई नथी. बधा शब्दोनी व्युत्पत्ति आपी छे ने सघळा स्थाननिर्देश कर्या छे. क्रियापदो मूळ धातु रूपे ज दर्शाव्या छे, जेमके 'अवगन्न्'. ग्रंथपाठ शंकास्पद लाग्यो छे त्यां प्रश्नार्थ मूक्यो छे. ते ज रीते ज्यां अर्थ आपी शकायो नथी त्यां पण प्रश्नार्थ मूक्यो छे. त्रणे कृतिओना अनुवाद आपवामां आव्या छे त्यां आवां स्थानोनो अर्थ बेसाडवानी कोशिश करी छे, जेनो आ संकलित कोशमां
लई शकायो त्यां आधार लीधो छे. दशस्क(१). दशमस्कंध-१, संपा. उमाशंकर जोशी अने हरिवल्लभ चू. भायाणी, प्रका.
गुजरात युनिवर्सिटी, अमदावाद, १९६६.
प्रेमानंदनी आ कृतिमां रचनावर्ष नथी, पण आ अधूरी रहेली कृति एमनी छेल्ली कृति होवानुं समजाय छे तेथी एनो रचनासमय सत्तरमी सदीनुं बीजं चरण गणाय.
शब्दसूचिमां ५०० उपरांत शब्दो छे. केटलाक शब्दो परत्वे एकथी वधु स्थाननिर्देश छे. आ शब्दसूचि उपरांत कृतिनां पंक्तिवार टिप्पणो करेलां छ तेमां पण शब्दार्थो आपेला छे. आ संकलित कोशमां एनी क्वचित् मदद
लीधी छे. दशस्क(२). दशमस्कंध-२, संपा. उमाशंकर जोशी अने हरिवल्लभ भायाणी, प्रका.
गुजरात युनिवर्सिटी, अमदावाद, १९७१.
आ ग्रंथनी शब्दसूचिमां आशरे २५० शब्दो छे. अहीं पण टिप्पणो
देवरा.
(अज्ञात कविकृत) देवकीजी छ भायारो रास, संपा. बिपिनचंद्र जी. झवेरी, प्रका. गूर्जर ग्रंथरत्न कार्यालय, अमदावाद, १९५८.
कृतिमां रचनावर्ष नथी पण एनी रचना अढारमी सदी पूर्वार्धनी अनुमानवामां आवी छे.
शब्दसूचिमां आशरे ७०० शब्दो छे. काव्यनी शरूआतनी बेत्रण ढाळोमांथी प्रत्येक शब्द नोंध्यो छे, तेथी जेनो अर्थ आपवानी जरूर नथी लागी तेवा 'अचरज' जेवा शब्दो पण सूचिमां जोवा मळे छे. उच्चारभेदथी आवेला शब्दोने एमना क्रममा ज मूक्या छे, पण आ एक ज शब्दना
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