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शताब्दी लगभगनी होवानुं अनुमान थयुं छे.
रावणचरित सिवायनी त्रणे कृतिओना अलग शब्दकोश आपवामां आव्या छे, जे अनुक्रमे १००, ५० अने १०० शब्दोने समावे छे.
अंगदविष्टिना शब्दकोशने मथाळे भूलथी कृष्णविष्टि छपायुं छे. गुर्जरा.
गुर्जररासावली, संपा. बी. के. ठाकोर, एम. डी. देसाई, एम. सी. मोदी, प्रका. ऑरिएन्टल इन्स्टिट्यूट, बरोडा, पुनर्मुद्रण १९८१.
आ ग्रंथमां १३५४(सं.१४१०)थी १४२९ (सं.१४८५) सुधीनी कृतिओ संघरायेली छे. २२६ पानांमां विस्तरता शब्दकोशमां ३५०० जेटला शब्दो छे. शब्दोनां विविध विभक्तिओ के काळ-अर्थनां रूपो नोंध्यां छे, एमनां प्रयोगस्थानो प्रचुरताथी निर्देश्यां छे अने दरेक शब्द परत्वे व्युत्पत्तिविषयक, व्याकरणविषयक, अर्थविषयक नोंध वीगते आधारो साथे आपी छे. केटलाक शब्दोना अर्थ टिप्पणमां सुधार्या छे, जेनो आ संकलित कोशमां उपयोग करी लीधो छे. शब्दकोशमां सर्वग्राही बनवानो हेतु होवाथी 'द्रौपदीअ' 'धणियाणी' 'नागिणी' 'नाचई' जेवा शब्दो पण आप्या छे, जे आ संकलित कोशमां छोडी दीधा छे. ग्रंथमां अर्थो अंग्रेजीमां आपेला छे
तेनुं अहीं गुजराती करी लीधुं छे. चतुचा. (विश्वनाथ जानीरचित) चतुरचालीसी, संपा. महेन्द्र अ. दवे, प्रका. क.
ला. स्वाध्यायमंदिर, अमदावाद, १९८६.
आ कृति रचनावर्ष धरावती नथी, पण विश्वनाथ जानी, १६५२नी अन्य रचनाओ मळे छे.
क शब्दसूचिमा २५० उपरांत शब्दो छे. चंद्रवा.
(शामळ भट्टकृत) चंद्र-चंद्रावती वारता, संपा. हीरा रा. पाठक, प्रका. गूर्जर ग्रंथरन कार्यालय, अमदावाद, १९६८.
कृतिनुं रचनावर्ष नथी, परंतु शामळनी अन्य कृतिओ १७१८थी १७६५नां रचनावर्षो बतावे छे..
शब्दकोशमा ३०० जेटला शब्दो छे. एकथी वधु स्थाननिर्देशो थया छे ने उच्चारभेदवाळा शब्दो एकसाथे लई लीधा छे. अर्थ निश्चित न थई शक्यो होय तेवां स्थानोए प्रश्नार्थ मूक्यो छे.
शब्दकोशने मथाळे “पहेलो क्रम पृष्ठनो छे, बीजो कडीनो छे' एम
कह्यु छे ते भूल छे. पहेलो अंक कडीनो ने बीजो चरणनो छे. चारफा. पंदरमा शतकनां चार फागुकाव्यो, संपा. कान्तिलाल ब. व्यास, प्रका.
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