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अर्थ आपवामां आव्या छे. शब्दों परत्वे काव्यपंक्तिनो तेमज टिप्पणना पृष्ठनो संदर्भ आपेल छे. आथी, क्यांक अर्थ नोंध्या नथी ('पोतृ' 'प्रणीता' जेवा खास शब्दोना) त्यां टिप्पणमांथी मेळवी शकाय छे ते उपरांत केटलाक शब्दोनी विशेष समजूती पण त्यांथी मेळवी शकाय छे.
कादं (शा). (कवि भालणकृत) कादंबरी, पूर्व भाग, संपा. केशवराम का. शास्त्री, प्रका. भारत प्रकाशन, अमदावाद, बीजुं संस्करण १९६९; (कवि भालणकृत) कादंबरी, उत्तर भाग, संपा. प्रका. ए ज, प्रथम संस्करण १९६९.
बने ग्रंथोमां बन्ने भागोने आवरी लेतो समान शब्दकोश आपवामां आव्यो छे. ए शब्दकोशमां आशरे ६०० शब्दो छे. थोडा शब्दो परत्वे एकथी वधु स्थाननिर्देशो छे. व्युत्पत्तिविषयक ने व्याकरणविषयक नोंधो बधा शब्दमां आपी छे.
कामा (त्रि). (लोकवार्ताकार शिवदासकृत ) कामावती, संपा. भूपेन्द्र बा. त्रिवेदी, प्रका. फार्बस गुजराती सभा, मुंबई, १९७२.
कृतिनुं रचनावर्ष १५१७ (सं. १५७३) मळे छे.
कृष्णच.
कृष्णबा.
शब्दकोशमां आशरे २०० शब्दो छे. उच्चारणभेदथी आवता शब्दो साथै ज लई लीधा छे. जेमके, 'ओहोलास, होलास [ ५९० व.] - उल्लास'. आधी थोडाक शब्दो एमना वर्णानुक्रमथी अलग स्थाने नोंधाया होवानी स्थिति ऊभी थाय छे.
कामा (शा). कामावतीनी कथानो विकास अने कवि शिवदासकृत 'कामावतीनी वार्ता', प्रवीण अ. शाह, प्रका. पोते, विरमगाम, १९७६.
शब्दकोशमां २०० उपरांत शब्दो छे. अहीं पण उच्चारभेदवाळा शब्दो साथे लीधा छे. थोडाक शब्दो परत्वे स्थानिर्देश आपवानो चुकाई गयो छे.
( अज्ञात कविकृत) कृष्णचरित्र. जुओ कृष्णबा.
(कीकु वसहीकृत) कृष्ण - बालचरित तथा अन्य मध्यकालीन रचनाओ, संपा. हरिवल्लभ भायाणी, प्रका. फार्बस गुजराती सभा, मुंबई, १९९२. अन्य मध्यकालीन रचनाओमां कीकु वसहीकृत अंगदविष्टि, अज्ञात कविकृत कृष्णचरित्र अने अज्ञात कविकृत रावणचरितनो समावेश छे.
एकेय कृति रचनावर्ष धरावती नथी. परंतु कीकु वसही पंदरमी सदीना अंते के सोळमी सदीना आरंभे हयात होवानुं अनुमान थयुं छे अने अज्ञातकर्तृक बे कृतिओ अनुक्रमे पंदरमी सदी अंतभाग अने तेरमी
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