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विष्णुकन्द-विसंकट]
शब्दरत्नमहोदधिः।
१९१३
व्यापने+नुक्) व्या५४, ३साये., “यस्माद्विश्वमिदं सर्वं | विष्णुवल्लभ, विश्वक्सेनप्रिय त्रि. (विष्णोः वल्लभः। तस्य शक्त्या महात्मनः । तस्मादे वोच्यते । विश्वक्सेनस्य प्रियः) विशुन प्रिय. विष्णुर्विशधातोः प्रवेशनात् ।"
विष्णुवल्लभा, विश्वक्सेनप्रिया (विष्णोः वल्लभा/ विष्णुकन्द पुं. (विष्णुप्रियः कन्दः) मे तनु, भूणियु. विश्वक्सेनस्य प्रिया) १क्ष्मी, तुलसी, अनिशिru विष्णुक्रान्ता स्त्री. (विष्णुस्तद्वर्णः क्रान्तो वा यया) વૃક્ષ-લતા વારાહીકંદ પ્રિયંગુલતા. અપરાજિતા વનસ્પતિ.
विष्णुवाहन, विष्णुवाह्य पुं. (विष्णुं वाहयति, विष्णुगुप्त पुं. (विष्णुना गुप्तः) या.. NAYL, मे. वह् + णिच्+ ल्यु/विष्णुर्वाह्योऽस्य) २७ ५६.
तनो ६. (त्रि. विष्णुना गुप्तः) विष्णुस २क्ष __ (न. विष्णोः वाहनम्) विष्णुर्नु वाइन. ४३८.
विष्फार पुं. (वि+स्फुर्+णिच्+ अच्, अच आन् षत्वम्) विष्णुगृह न. (विष्णवे प्रतिष्ठितं गृहम्) तमप्ति . धनुष्यन. २. श:२.
विष्य त्रि. (विषेण वध्यः, विष्+यत् यद्वा विषेण क्रीतः, विष्णुतैल न. (विष्णुनामकं तैलम्) is Lal औषध विषेण हितः वा यत्) २५3 भारी नवा 43, રૂપ તેલ.
रथी परीस, २५3 हित:२.. विष्णुदैवत त्रि., विष्णुर्दैवत्य न. (विष्णुर्दैवतं यस्य/ विष्व त्रि. (विष्+व) नुसान ४२॥२, नुसानी, सय४॥ विष्णुर्दैवत्यं यस्य) विष्णु नो हेव. छे ते द्रव्य २२. वगैरे. (न. विष्णुदेवतं यस्य) श्रव...
विष्वक् (अव्य.) यारे ला ना२, सर्वव्यापी.. विष्णुद्विष पुं. (विष्णुं द्वेष्टि, द्विष्+क्विप्) छैनमत विष्वणन न. (वि+स्वन्-ल्युट षत्वणत्वे) uj, मोन પ્રમાણે પ્રતિવાસુદેવ.
४२. विष्णुधर्म पुं. (विष्णूपासनोपयोग्यो धर्म) वि . विष्वद्यच् त्रि. (विष्वगञ्चतीति, अञ्च+क्विप् टे: स्थाने
ઉપાસનાને યોગ્ય ધર્મ, વિષ્ણુધર્મ પ્રતિપાદક ગ્રન્થ. अद्रीत्यादेशः) सर्व.त२६ ४ना२, सर्वव्या५ - विश्वद्रीविष्णुधर्मोत्तर न. (विष्णुधर्म उत्तरः प्रधानो वर्ण्यत्वेन | चीविक्षिपन् सैन्यवीचीः-शिशु० १८।२५। -विश्वद्रीच्यायस्य) मे. संहिता
भुवनमभितो भासते यस्य भासा-भामि० ४१८ । विष्णुपद न. (विष्णोः पदमिव व्यापकत्वात्) Aut२, | विष्वाण पुं. (वि+स्वन्-घञ् षत्वणत्वे) ना४, २५४.
क्षीरसमुद्र, भय, विष्णुन. पग-पगडं, विष्ण३५. विस् (दिवा. प. स. सेट-विस्यति) छोउ, त४, स्थान.
भोसg, ३४. विष्णुपदी स्री. (विष्णुपदं कारणत्वेनास्त्यस्याः, | क्सि न. (विस्+क बवयोरभेदात्) भू-भागनी
अच्+गौरा+ ङीष्) नही- “निर्गता विष्णुपादा- | Eist.
ब्नात् तेन विष्णुपदी स्मृता" -ब्रह्मवै० पु० । विसंयुक्त त्रि. (वि+सम्+युज्+क्त) येसु नहि विष्णुपुराण (न.) व्यासप्रश्त त नामनु महापु२।९।... त, सरासस २... विष्णुप्रिय त्रि. (विष्णोः प्रियः) विशुन य. विसंयोग पुं. (वि+सम्+युज्+घञ्) वियोग, संयोग विष्णुप्रिया स्त्री. (विष्णोः प्रिया) १क्ष्मी, तुवी. ___नहित, सर यj. विष्णुमाया स्त्री. (विष्णोः माया) ५२मेश्वरना. माया, विसंवाद पुं. (वि+सम्+वद्+घञ्) विरुद्ध गर्नु, दुहवी.
પ્રતિકૂલપણું, ખોટું કહી છેતરવું, વિરોધ. विष्णुयशस पुं. (विष्णोर्यश इव यशः अस्य) लिन | | विसंष्ठुल त्रि. (वि+सम्+स्था+उलच्) विक्षुब्ध, असम.. पिता.
विसकुसम, विसज, विसपुष्प, विसप्रसून न. विष्णुरथ पुं. (विष्णोः रथ इव गतिहेतुत्वात्) ॥२७ | (विसयुक्तं कुसुमम्/विसाज्जायते/विसयुक्तं कुसुमम्/ ५क्षी, विशुनो २५.
विसयुक्त. प्रसूनम्) मग.. विष्णुरात पुं. (विष्णुना रातः विष्णुर्वा रायाज्जीवनमस्मै, विसंकट (पुं. (विशिष्टः संकटो यस्मात्) सिंह,
रा+क्त-त वा) परीक्षित. २५%t.
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