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शब्दरत्नमहोदधिः।
[द्रुमाश्रयी-द्रोणपर्णी द्रुमाश्रयी स्त्री. (द्रुमाश्रय+स्त्रियां जातित्वात् ङीष्) आय.31, | द्रेक् (भ्वा. आ. सेट् अक.-द्रेकते) श०६ ४२वी; सवा४ 3151.30.
७२वी, उत्साड १२वो. द्रुमिणी स्त्री. (द्रुमाणां समुहः इनि+डीए) वृक्षन. समूड. द्रेक, रोक्कण, रोक्काण, द्रेष्काण पुं. (द्रेक्काण पृषो०) द्रुमेश्वर पुं. (द्रुमेषु ईश्वर इव श्रेष्ठत्वात्) ताउनु भ3,
शशिनोत्री अंश- 'स्वपञ्चनवमानां ये राशीनामधिपा श्रेष्ठ उ. (पुं. द्रुमाणां औषधीनामीश्वरः) यन्द्र, ग्रहाः । ते द्रेक्काणाधिपा ज्ञेया द्रेक्काणास्रय एव हि ।' पू२.
-ज्यो० त० । द्रुमोत्पल पुं. (द्रुमे उत्पलमिव पुष्पमस्य) ९८२
द्रेश्य त्रि. (दृश्+कर्मणि क्यप् वेदे पृषो.) शन. ४२वा वृक्ष, ७२न उ.
. योग्य, सेवा योग्य. द्रुम्म् (भ्वा. पर. सेट-द्रुम्मति) ४j; म.न. २..
दै (भ्वा. पर. अ. अनिट-द्रायति) निद्रा देवी, घj.. द्रुवय न. पुं. (द्रोविकारभूतं प्रस्थादिपरिमाणम्, द्रु+माने
द्रोघ त्रि. (द्रूह+कर्मणि घञ्) द्रोड ४२वो त. वयः) भाप, भान, वन.
द्रोण, द्रोणक पुं. (द्रोणः कलशः उत्पत्तिस्थानत्वेनास्त्यस्य, द्रुसल्लक पुं. (द्रुषु सल्लक इव) यारोजीन जाउ.
द्रोण+अच्/द्रोण+स्वार्थे क) भ२६४ ऋषिनी पुत्र द्रुह (अनिष्टचिन्तने, दिवा. पर. स. वेट-द्रुह्यति) औ५
દ્રોણાચાર્ય, અશ્વત્થામાનો પિતા, એક જાતનો કાગડો, કરવો, દ્રોહ કરવો, ઇજા આપવાનું વિચારવું, કોઈનું
વીંછી, ચારસો ધનુષ લાંબું-પહોળું જળાશય, જલ मनिष्ट यिंतj -द्रुह्यति दुष्टेभ्यः । अभि+द्रुह्यति
सहित भेघ -कोऽयमेवंविधे काले कालपाशस्थिते
त्वयि, अनावृष्टिहते शस्ये द्रोणमेघ इवोदितःषड्यंत्र. २५- मच्छरीरमरिद्रोग्धुं यतते-मुद्रा० १। द्रुह, द्रुह त्रि. (द्रु+क्विप्/द्रुह्यति द्रु+क) ५ ४२नार,
मृच्छ० १०।२६। पुष्प प्रधान वृक्ष, 5 ५९ 33, दोड ४२८२, ओऽनु, अनिष्ट विया२न२ . यान्वेति
તે નામે વસુનો એક પુત્ર, કુશદ્વીપમાં રહેલો તે मां दुह्यति मह्यमेव सात्रेत्युपालम्भि तयालिवर्ग:
नामनी में वर्ष पर्वत. (पुं. न. द्रवतीति, द्रू गतौ+न) नैष० ३।७। (पुं. दुह्यति धनादिलाभाशया पितृविनाशम्
બત્રીસ શેરનું એક વજન (જેમાં એશી રૂપિયા ભારનો
२२ डोवो ऽ.) -आढकपरिमाणम्, आढकचिन्तयति द्रुह+क) पुत्र.
चतुष्टयम् -शब्दरत्नवाली । मे. पारीनो सोचमा द्रुहण, द्रुहिण पुं. (द्रु संसारगतिं हन्तीति हन्+अच्/
भाग- द्रोणस्तु खार्या खलु षोडशांशः-लीलावती । द्रुह्यति दुष्टेभ्यः, द्रु+इनन् गुणाभावश्च) बहाव,
અરણિકાષ્ઠ. લાકડાનો રથ, લાકડાનો બનાવેલો ઘોડો. A6AL. -'दुहिणोऽजश्चतुर्मुखः' -ध० ना० । - द्रुहिणे
द्रोणकलश पुं. (द्रोण इव कलशः) से प्रा२र्नु यशयात्र. सृष्टिशक्तिश्च हरौ पालनशक्तिता-देवीभाग० १।८।२८ ।
द्रोणकाक पुं. (द्रोण एव काकः) . तनो आग.. द्रुही स्त्री. (द्रु+क+ङीष्, द्रुह्यति पित्रे विवाहकालीनधन
द्रोणक्षीरा स्त्री. (द्रोणमितं क्षीरमस्याः) मत्रीस. शे२. दूध ___ ग्रहणादिना) पुत्री, दी..
આપનારી ગાય. द्रुह्य त्रि. (द्रुह्+क्यप्) द्रोड ४२६॥ योग्य, ५ ४२वा द्रोणगन्धिका स्त्री. (द्रोणस्य तन्नामपुष्पस्य गन्ध इव योग्य.
__गन्धो यस्याः कप टाप् अत इत्वम्) रास्ना, स२२.. द्रुह्यत् त्रि. (द्रुह्+शतृ) द्रोड ४२तुं, अनिष्ट यिन्तन द्रोणघा, द्रोणदुग्धा, द्रोणदुघा, द्रोणमाना स्त्री. (द्रोणदुघा २.
पृषो. दुलोपः/द्रोमितं दुग्धमस्याः/द्रोणं दोग्धीति दुह+क ' द्रुह्यु (पुं.) ययाति. २०४नो शर्मिष्ठा 6त्पन्न येत
___ घश्चान्तादेशः/द्रोणो मानं दुग्धमस्याः) मे दोपरिमित. नामना पुत्र.
(4जीस. शे२) दूध मायनरी य- 'द्रोणक्षीरा ।' द्र (स्वा. उभ. स. सेट-द्रूणोति-द्रूणुते/क्रया. उभ. स. | द्रोणचित् (पुं.) में यक्षीय मनि.
सेट-द्रूणाति, द्रूणीते) ४, ५५ ७२वी, ४१२ मा२. | द्रोणपदी स्त्री. (द्रोण इव पादोऽस्याः ङीषि पादोऽन्त्यलोपे दू पुं. (द्रवति स्रवति क्विप् दीर्घश्च) सोनु, सुवर. पद्भावः) द्रो वा गवाजी स्त्री.. द्रुघण पुं. (द्रूघणः पृषो. दीर्घः) पुं. द्रुघण २०० मी. | द्रोणपर्णी स्त्री. (द्रोणस्य पर्णमिव पर्णमस्याः) मे द्रूण पुं. (द्रूणः पृषो. दीर्घः) वांछी.
तनी उप.
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