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द्रुतपद-द्रुमाश्रय
शब्दरत्नमहोदधिः।
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6तावणियु-वेगवाणु द्रुतं द्रुतं वह्निसमागतं मतम्' - | येस. मे. पुत्र, ते. ना. से. निरोनो २५%80. भट्टि० । (अव्य.) हाथी, 6तावी . . (पुं. जे. प्रा. दुम) 'माशुत्तरोववाऽसूत्र'न जी द्रुताभिरत्यर्थसमुत्थिताभिः-महा० १३।२६।८१ । વર્ગના સાતમા અધ્યયનનું નામ, શ્રેણિક રાજાની (पुं. द्रवति स्म उर्ध्वमिति द्रु+क्त) वृक्ष, लिcust. ધારિણી રાણીના પુત્રનું નામ, અમરેન્દ્ર, પાયદળ (न. द्रु+क्त) शीध्र, ताan, ४९ही -अभ्याघातेषु લશ્કરનો અધિપતિ, કુમ નામનું આઠમા દેવલોકનું मध्यस्थान् शिष्यांश्चौरानिव द्रुतम् -मनौ० ९१७२। मे. विमान. ઝડપ, જલદી તાલ આપવો તે.
द्रुमकान्त न. (जै. प्रा. दुमकंत) त. नाम से विद्याधरनु द्रुतपद त्रि. (द्रुतं शीघ्रगामि पदं यस्य) 6thani नगर-श:२. ५iciauj. (न. द्रुत शीघ्रगामि पदम्) 6तवणु,
द्रुमनख पुं. (द्रुमस्य नख इव) • 325-5izl.. पगडं.
द्रुमपत्र न. (द्रुमस्य पत्रम्) आउनु ५i६, द्रुम, २००र्नु द्रुतमघ्या स्त्री. (द्रुतं मध्यं यस्याः) ते. नामे से. छ. वाहन-0डी. वगेरे. (न. जै. प्रा. दुमपत्त) द्रुतबिलम्बित न. (किञ्चिद् द्रुतं च किञ्चिविलम्बितं ‘ઉત્તરાધ્યયનસૂત્ર'નું તે નામે એક અધ્યયન. च) ना , भा, भग भने, २० मे. प्रभार
द्रुमपुष्पिका स्त्री. (जै. पा. दुम पुफिया) 'शवैलि.:બાર અક્ષરના ચરણવાળું તે નામનું એક વૃત્ત -
સૂત્ર'નું પ્રથમ અધ્યયન. 'द्रुतविलम्बितमाह नभौ भरौ' वृत्तर० । (त्रि. किञ्चिद्
द्रुममय त्रि. (द्रुम+विकारे मयट) वृक्षोनो वि.२ यू५, द्रुतं किञ्चिविलम्बितं च) 8586uaj, अ.ने. ४६४
યજ્ઞસ્થંભ વગેરે. धाभु, - द्रुतविलम्बितचारुविहारिणं हरिमहं हृदयेन सदा
द्रुममर पुं. (द्रुमो म्रियतेऽनेन मृ+करणे अप्) 28, वहे' -छन्दोम० ।
sial. द्रुति स्त्री. (द्रु+भावे क्तिन्) द्रव, २१, प्रवाड, गति.
द्रुमवत् त्रि. (द्रुम+मतुप्) आउuj. (अव्य. द्रुम+तुल्यार्थे द्रुनख पुं. (द्रोवृक्षस्य नख इव असंज्ञत्वात् यत्र णत्वा
वत्) 3४, आउनी समान. भावः) sizl, 528.
द्रुमव्याधि पुं. (द्रुमस्य व्याधिरिव) Guv. (पुं. द्रुमस्य
व्याधि: अलूक् स.) आउनो रोगस. द्रुनह (पु.) तलवारर्नु भ्यान. द्रुपद (पुं.) याद शिनो. ते. ना. स. २०%81, यशसेन.
द्रुमशीर्ष न. (द्रुमस्य शीर्षमिव शीर्षमस्य) भारत
अथवा भीतनो ५८. मास (न. द्रुमस्य शीर्षम्) -द्रौपट्टीनो पिता (न. द्रोः काष्ठस्य पदं दुस्तरुस्तन्मयं
उनी अमा, वृक्षनी टोय, वृक्षनु भथाj. वा पदम्) नो प्रश, नी पास-41वी.
द्रुमश्रेष्ठ पुं. (द्रुमेषु श्रेष्ठः) भुज्य उ, ताउनु उ. द्रुपदतनय, द्रुपदपुत्र, द्रुपदसुत, द्रुपदसूनु, द्रपदात्मज
द्रुमषण्ड न. (द्रुमाणां समूहः द्रुम+षण्डच्) वृक्षानो. पुं. (द्रुपदस्य तनयः-पुत्रः-सुतः-सूनुः-आत्मजः)
समूड, जाउनी. ४थ्यो. (न. द्रुमाणां षण्डं वनम्) वृष्टधुम्न, शिडी.
वृक्षोनु, वन - षण्डं काननं वनम्' -अभिधा० चि० । द्रुपदतनया, द्रुपदपुत्री, द्रुपदसुता, द्रुपदा, द्रुपदात्मजा
द्रुमसेन (पु.) ते मनो. . २. (पुं. जै. प्रा. स्त्री. (द्रुपदस्य तनया-पुत्री-सुता-आत्मजा) द्रौप६ी,
दुमसेण) 'मशुत्तरोवावा सूत्र'ना 40% ofनाभ। દ્રપદા નામની ગ્લેદની એક ઋચા.
અધ્યાયનું નામ, શ્રેણિક રાજાની ધારિણી રાણીના द्रुपदी स्त्री. (दुरिव दीर्घः पादो यस्याः डीए) cial
એક પુત્રનું નામ, નવમા બલદેવ અને વાસુદેવના પગવાળી સ્ત્રી.
પૂર્વ ભવના ધર્માચાર્ય. द्रुम पुं. (समुदाये वृताः शब्दा अवयवेष्वपि वर्तन्ते इति
| द्रमामय पुं. (द्रुमस्यामयः) वृक्षनो रोग, छाउनी. व्याधि. न्यायात् द्रुः शाखा विद्यतेऽस्य द्रु+म) वृक्ष, आ3 - 'द्रुमव्याधि' (पुं. द्रुमस्यामय इव) am, Alal. यत्र मा अपि मृगा अपि बन्धवो मे-उत्तर० ३।८। | द्रमारि पं. (द्रमस्य अरिः नाशकः) स्ती, थी, -तस्य तद वर्धते नित्यं सिच्यमान इव द्रमः -
વૃક્ષનો નાશ કરનાર કોઈ પણ હેતુ. मनौ० ९।२५५। अस्पवृक्ष, सुखर, ते. ना. द्वा५२..
द्रुमाश्रय त्रि. (द्रुमः आश्रयो यस्य) आउन आश्रयवाणु. યુગનો એક રાજા, કૃષ્ણથી રુક્મિણીના પેટે પેદા
___ (पुं.) आय 32, 51.81.3.
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