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अभी.
चर्पटी-चर्ममुद्रा
शब्दरत्नमहोदधिः। चर्पटी स्त्री. (चर्पट+डीप्) दोरनी पुरी ३. | चर्मण्वती स्त्री. (चर्मन्+अस्त्यर्थे मतुप् मस्य वः चर्भट पुं. (चर्+क्विप भटति भरति स्वशरीरदानेन संज्ञायाम्) . नामनी में नही, हेvisi प्रसिद्ध भट्+अच् ततः कर्मधारयः) याम.
जत नही -चर्मणां पर्वतो जातो विन्ध्याचलसमः चर्भटी स्त्री. (चर्भट+गौरा. ङीप्) बनी. २मत, भाउजरनु पुनः मेघाम्बुप्लावनाज्जाता नदी चर्मण्वती शुभा ।। पाय, छाथी पोसj, य.
-देवीभाग० १।१८।५४। चर्म न. (चर्म साधनतया अस्त्यस्य अच टि लोपः) | चर्मतरङ्ग पं. (चर्मणि तरङ्ग इव) वृद्धावस्था 3 ढास. - शरीराम्बरकं शस्त्रं चर्म इत्यभिधीयते- શરીરની ચામડી ઉપર ચડેલું વળિયું, કરચલી. युक्तिकल्पतरुः ।
चर्मतिल त्रि. (चर्मणि तिलाः यस्य) ठेने शरीर 6५२ चर्मकण्टक पुं. (चर्मणि कण्टक इव) वनस्पति. de. होय ते.. पित्ता५७...
चर्मदण्ड. पुं. (चर्मणा कृतो दण्डः) २४, यामानो चर्मकषा स्त्री. (चर्म कषति कष्+अच्) पश्चिम शिमi बनावेतो. या -चर्मदण्डाहतः साधुः शशापातिरुषा પ્રસિદ્ધ એક ગંધ દ્રવ્ય, શિકાખાઈ-ચિકાબાઈ નામની च तम् - महा० शान्तिप० । वनस्पति -चर्मकषायाः कल्कं बिल्वसमं मूनि चर्मदल न. (चर्म दलयति दल्+अण्) मे तनो काकपदमस्य-चरके २५. अ० ।
કોઢ, અલ્પ કોઢરોગ. चर्मकसा स्त्री. (चर्म कस्+अच्+टाप्) 6५२नो अर्थ | चर्मदूषिका स्त्री. (चर्म दूषयति दूष्+ण्वुल्) ५२४वानी
रोग, तनो ओढ. चर्मकार, चर्मकारक पुं. (चर्म तन्निर्मितं पादुकादि | चर्मद्रुम पुं. (चर्म चर्माकारवल्कलं तत्प्रधानो द्रुमः)
करोति कृ+अण्/ (पुं. चर्मन्+कृ+ण्वुल) यमार, ભોજપત્રનું ઝાડ, ભૂર્જવૃક્ષ. भोयी. मे. [सं.४२ लि. कारावरो निषादात् तु | चर्मन् न. (चर्+मनिन्) यामडु, याम.51, ७८, ढाद, चर्मकारः प्रसूयते - मनु० १०॥३६।
| ત્વચા ઈન્દ્રિય-જેનાથી સ્પર્શનું જ્ઞાન થાય તે. चर्मकारिन् पुं. (चर्मन् कृ+णिनि) यमार, भोथी. | चर्मनालिका स्त्री. (चर्मनिर्मिता नालिकेव) १२32, या चर्मकारी स्त्री. (चर्मन+कृ+अण्+ ङीष्) यमा२५, | चर्मपट्टिका स्त्री. (चर्मनिर्मिता पट्टिका) यामडानी ds, __ भोय, मे तनी औषधि.
સોગટ ઇત્યાદિ ખેલવાનો ચામડાનો પટ. चर्मकार्य न. (चर्म+कृ+ण्यत्) यामार्नु म. चर्मपत्री स्त्री. (चर्मेव पत्रं पक्षोऽस्याः) यामायउयु. चर्मकील पुं. (चर्मणि कोल इव) ४२स-मसानो रो | चर्मपादुका स्त्री. (चर्मनिर्मिता पादुका) याम.न. लो.31, -चर्मकीलं जतुमणिं मसकान् तिलकालकान् । उत्कृत्य ચામડાની મોજડી, ચંપલ, સપાટ વગેરે.
शस्त्रेण दहेत् क्षाराग्निभ्यामशेषतः ।। -भाव प्र० । चर्मपुट, चर्मपुटक पुं. (चर्ममयं पुटमत्र/चर्मपुट+स्वार्थे चर्मकृत् पुं. (चर्म करोति चर्मघटितपादुकादिकमुत्पादयति, __ क) यामान , यामानीत, मश..
कृ+ क्विप्) यभार, भोयी, -चर्मकृत् कोऽपि न चर्मप्रभेदिका स्त्री. (चर्म प्रभिनत्ति प्र+भिद्+ण्वुल टाप् प्रादात् कुटी क्षेत्रोपयोगिनीम्-राजत० ४।५५।। ___ अत इत्वम्) यामडु 14वान थियार, भोयानी २. चर्मचटका, चर्मचटिका, चर्मचटी स्त्री. (चर्मणा चर्मप्रसेविका स्त्री. (चर्मणा प्रसीव्यते प्र+सी+कर्मणि
चटकेव/ चर्मचटी+कन् । चर्म चटति भिनत्ति, वुन टापि अत इत्वम्) यामानी. म. चट्+अच्+ङीप्) यामाथी उयु.
चर्मबन्ध पुं. (चर्मणो बन्धः) याम.नciu. चर्मचित्रक न. (चर्म चित्रयति चित्र+ण्वुल्) घोगो . चर्ममय त्रि. (चर्मणो विकारः) यामानु, बनावेद, કોઢનો રોગ.
- ચામડાનું ચામડામય. चर्मज न. (चर्मणि जायते जन्+ड) इंचाई, उश, डा. | चर्ममण्डल पुं. ब. व. ते नमनी में शि.
(त्रि.) यामाथी. पहा थनार यमीत्पन. चर्ममुण्डा स्री. (चामुण्डा पृषो०) या हेवी-दुहे. चर्मण्य त्रि. (चर्मणि भवः शरीरावयत्वात् यत्) याममा चर्ममुद्रा स्री. तंत्रशस्त्र प्रसिद्ध वाम 6यो थना२.
એક મુદ્રા.
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