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आश्चोतन-आश्रयण]
शब्दरत्नमहोदधिः।
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પવી
आश्चोतन त्रि. (आ+श्च्युत्+ल्युट) १. सारी रीते - दुष्प्रापयशाः प्रापदाश्रमं श्रान्तवाहनः-रघु० १।४८,
अर, 245j, wi2j, २. ५४ीने घी. यो५७. । तपोवन, 3. ५२भेश्व.२, ४. अवस्था, ५. विद्यालय, आश्च्योतन त्रि. (आ+अच्युत्+ल्युट्) 6५२नो अर्थ मो. महाविद्यालय, 5. 131, गल.. आश्म पु. (अश्मनो विकारः अण् वा) पथ्थ२. वि२, । आश्रमगुरु पु. (आश्रमाणां गुरुर्नियन्ता) बाययहि પથ્થરનું.
सर्व आश्रमोना नियंत-२%8. आश्मक पु. (अश्मना कायति कै+क) Aug. देशमi. आश्रमधर्म पु. (आश्रमविहितो धर्मः) पाय वगेरे આવેલું તે નામનું એક ગામ.
माश्रममा मायरातो धर्म -य इमामाश्रमधर्मे आश्मकि त्रि. (अश्मना कायति तत्र भवः इञ्) ॥२.४ नियुङ्क्ते-श० १ ગામમાં થનાર.
आश्रमपद न. (आश्रमस्य पदम्) मुनिमो. वगेर्नु आश्मन पु. (अश्मना कायति अण् टिलोपाभावः) विश्रामस्थान, तपोवन. वगेरे - शान्तमिदमाश्रमपदम्૧. પથ્થરનો વિકાર, પથ્થરની બનેલી કોઈ વસ્તુ, श० ११६ २. सूर्यनो साथिअ.२९- यश्चापमाश्मनप्रख्यं सेषु
आश्रमभ्रष्ट त्रि. (आश्रमाद् भ्रष्ट:) धर्मसंघथी. बहार धत्तेऽन्यदुर्वहम्- भट्टिः ४।२६
કાઢી મૂકેલો, પોતાના ધર્મથી ચુત. आश्मन्य त्रि. (अश्मन् चतुर्थ्यां ण्यः) ५५५२न. पा.
आश्रमवास पु. (आश्रमे वासः) मुनिजी वगैरे तपोवन રહેલ પ્રદેશ વગેરે.
વગેરેમાં રહેઠાણ, મહાભારત ગ્રંથનું તે નામનું એક आश्मभारक त्रि. (अश्मभारं वहति हरति आवहति वा ठण) पथ्थरनो. मा२ ८ न. ४२, य.न.२.
आश्रमवासिक न. (आश्रमवासः प्रतिपाद्यतयाऽस्त्यस्य आश्मरथ पु. (अश्मरथस्य मुनेरपत्यं गोत्रापत्ये ठन्) भाभारतनु, ते. नामनु, मे. पd. कण्वा. अण्) सश्मरथ मुनिनो वंश४.
आश्रमवासिन् त्रि. (आश्रमे वसतीति) संन्यासी., आश्मरथ्य पु. (अश्मरथस्य मुनेरपत्यं गर्गा. यञ्)
वानप्रस्थ. અસમરથ મુનિનો પુત્ર.
आश्रमसद् त्रि. (आश्रमे सीदति सद्+क्विप्) श्रमआश्मरिक पु. (अश्मर्येव स्वार्थे ठ) ५थरीनो रो.
તપોવન વગેરેમાં રહેનાર વાનપ્રસ્થ વગેરે. आश्मायन पु. स्त्री. (अश्मनो गोत्रापत्यम् फञ्) सश्मन.
आश्रमिक त्रि. (आश्रमोऽस्त्यस्य ठन्) यार નામના ઋષિનો વંશજ.
આશ્રમપદોમાંથી કોઈ એક આશ્રમવાળું. आश्मिक त्रि. (भारभूतमश्मानं वहति हरति आवहति
आश्रमिन् त्रि. (आश्रमोऽस्त्यस्य इनि) 6५२ नो. अर्थ. हु.
__-तथैवाश्रमिणः सर्वे गृहस्थे यान्ति संस्थितिम् -मनु० वा ठण) मा२३५. ५थ्थरने. 15 ना२, .50२.
आश्रय न. (आश्रीयतेऽसौ आ+श्रि+कर्मणि अच्) आश्मेय पु. (अश्मन्+शुभ्रा. ठक्) सश्मन. नामना
૧. આશ્રય કરવા યોગ્ય, જેના ઉપર કોઈ વસ્તુ ऋषितुं संतान, छो.
माश्रित. २३ छ, पान- विनाश्रयं न तिष्ठन्ति आश्यान त्रि. (आ+श्यै+क्त) सुबई गयेद, घनीभूत
पण्डिताः वनिताः लताः - उद्भटः, २. साधार, थये- पथश्चाश्यानकर्दमान् -रघु० ४।२४
3. ५२, ४. विषय, ५. ओ . गुप, . वसंबन, आश्र त्रि. (अश्रमेव स्वार्थे अण्) नेत्रनु, ५५0, सु.
७. आश्रय ४२वो -निराश्रयं मां जगदीश ! रक्ष आश्रप पु. भूसनक्षत्र.
-पुरा०, ८. मान, ८. प्रा.डा. ४२ना२, १०. संभोउन, आश्रपण न. (आ+श्रा+णिच्+पुक् ह्स्वे ल्युट्) ५ ,
१.१. म1ि२५त्र, १२. संबांध, साडयर्थ, १३.७ संध, ग.
ગુણોમાંથી એક, ૧૪. બીજાનો આશ્રય લેનાર. आश्रम पु. न. (आ+श्रम्+आधारे घञ् अवृद्धिः)
आश्रयण न. (आ+श्रि+ल्युट) १. सेवन, सबसलन, १. शस्त्रोत. या धर्म, बायर्य, स्थ,
૨. શરણ લેવું, બીજાના સંરક્ષણમાં રહેવું, ૩. સ્વીકાર વાનપ્રસ્થ કે સંન્યાસ આશ્રમ પૈકી હરકોઈ આશ્રમ
७२, ४. १२५स्थान. त्रि. भाश्रय (स्त्रियां -गार्हस्थो भैक्षुकश्चैव आश्रमौ द्वौ कलौ युगे
ङीप्) -अहमेत्य पतङ्गवम॑ना पुनरङ्काश्रयणी भवामि महानिर्वाणतन्त्रम्-२, मुनिनो वास-२38191 96 -स | ते -कमा०
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