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शब्दरत्नमहोदधिः।
[आक्षेपक-आखेटिक
आक्षेपक त्रि. (आ क्षिप्+ण्वुल्) नं ४२॥२, ति.२२७१२ | आखुकर्णपर्णिका स्त्री. (आखुः तत्कर्णाविव पर्णान्यस्याः ४२॥२, यन॥२, इनार, या2 5२॥२, 35 वा कप्) १. दोभी, २. विताउवृक्ष, 3. ६२.४ानी. उना२, होषारो५५॥ ४२नार.
નામની વનસ્પતિ. आक्षेपक पु. (आ क्षिप्+ण्वुल्) १. . तनो वायु । आखुकर्णी स्त्री. (आखुः तत्कर्णाविव पर्णान्यस्याः वा रोग, २. शिडारी..
कप्) 6५२नो अर्थ हुआओ. आक्षेपण न. (आ क्षिप्+ल्युट) आक्षेप श दुभा. आखुग पु. (आखुना मूषकेन गच्छति गम् ड) भूषवाउन, आक्षेपिन् त्रि. (आक्षिपति णिनि) १. मेंयनार, ___ पति. २. निन्हा ४२८२, 3. ति२२७८२ ४२नार, ४. सूक्ष्म
आखुघात पु. (आखूनां घातः) नीय. तिनो भानव, દષ્ટિથી વિચાર કર્યા પછી ખેંચનાર, ૫. સૂક્ષ્મ દૃષ્ટિથી
ઉંદરોને પકડીને મારી નાખનાર. विया२. ७२८२.
आखुपर्णिका स्त्री. (आखुः तत्कर्णाविव पर्णमस्याः वा आक्षोट पु. (आ अक्ष्+ओट) अजनुं 3.
कप्) ६२७नी वनस्पति. आक्षोड पु. (आ अक्ष+ओड) 6५२नो. २००६ मी..
आखुपर्णी स्त्री. (आखुः तत्कर्णाविव पर्णमस्याः) 6५२न आक्षोदन न. (आ अक्ष ओद् ल्युट) शि२, माट.
सर्थ हुआ. आख प. (आखनत्यनेन खन+ड) stanो. पावो.
आखुपाषाण पु. (आखुखनकः पाषाणः) मे. तनो आखकी स्त्री. (आखनत्यनेन खन्+ ङीप्) डोहनी..
ચુંબક પથ્થર. आखण्डल पु. (आखण्डयति पर्वतान् आ+खडि+डलच्)
आखुभुज् पु. (आलुं भुङ्क्ते आखु भुज् क्विप्)
बिसाउt. द्र- आखण्डलः काममिदं बभाषे-कुमारसंभवे ३।११ आखण्डि त्रि. (आ खण्ड्+इन्) मेहन।२, ९४७८ ४२८२.
आखुभुज पु. (आखु भुज् क) 6५२नो साथ. ४.
आखुवाहन पु. (आखुः वाहनं यस्य) पति.. आखन पु. (आखनत्यनेन आ+खन्+घ) tari..
आखुविषहा स्त्री. (आखुविषं हन्ति हन् ड) ४२न। आखनिक पु. (आ खन् कर्तरि इकन्) १. यो२,
२ने. दू२ ४२ना२, ४वतार वृक्ष, वितादी. सता. २. v3, ॐ२, 3. ६२, ४. गो.
आखुरथ पु. (आखुः रथः यस्य) पति.. आखनिक त्रि. (आ खन् कर्तरि इकन्) महनार.
आखूत्कर पु. (आखुभिरूत्कीर्यते उत् कृ कर्मणि अप्) आखनिकवक पु. (आ खन् कर्तरि वा इकवक)
४२नो रेसो उयरी, २।३.. १. ओहणी, २. योर, 3. y3, २, ४. ६२.
आखूत्थ त्रि. (आखुभ्यः उत्तिष्ठति उत् स्था क) २थी आखनिकवक त्रि. (आ खन् कर्तरि वा इकवक)
उत्पन्न थनार, रोनी समूड. मोहना२.
आखूत्थ न. ('आखुभ्यः उत्तिष्ठति भावे क) रोन आखर पु. (आ+खन् करणे ड्र) डोहाणी.
anaci. ६. थj. आखरेष्ठ त्रि. (आखरे तिष्ठति स्था-क षत्वम्) tarulhi |
आखूत्थान न. (आखु उत् स्था ल्युट्) 6५२नअर्थ २डेस. आखात पु. (आ खन् क्त) इ. नलि माहेj, आखेट पु. (आखिट्यन्ते त्रास्यन्ते प्राणिनोऽत्र आ खिट ४२ती. dela, ४शय, Must...
घञ्) भृगया, शि.२, ५॥७॥ ५७. आखान पु. (आ खन् कु डिच्च) यारे नाथी. आखेटक पु. (आखिट्यन्ते त्रास्यन्ते प्राणिनोऽत्र स्वार्थे ___lj, पावट, हाजी.
कन्) 6५२नो अर्थ हुआओ. आखु पु. (आ खन ठु) १. ॐ४२, २. योर, 3. मूंड, | आखेटशीर्षक न. (आखेट इव शीर्षास्य) में तनी
४२, ४. ३५.५८, ५. वितus, . छछु४२.-अत्तुं । બાંધેલી ભૂમિ-સુરંગ. वाञ्छति शाम्भवो गणपतेराखुं क्षुधातः फणी-पञ्च. आखेटिक पु. (आखेटे कुशलः ठक्) भृगयाम मुशण १।१५९.
शिरी दूत. आखुकरीष न. (आखोः करीषम्) २-0.4030. आखेटिक त्रि. (आखेटे कुशलः ठक्) मृगयाम दुशण.
मो.
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