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अस्थिमाला-अस्पष्ट शब्दरत्नमहोदधिः।
२५३ अस्थिमाला स्त्री. (अस्थिनिर्मिता माला) 135it. | अस्थिसार पु. (अस्थनः सारः पाकपरिणामः) 81351माथी जनावदी भा.
ઉત્પન્ન થનારી મજા ધાતું, ચરબી. अस्थिमालिन् पु. (अस्थिमयी माला यस्य इनि) शिव, | अस्थिसार त्रि. (अस्थ्येव सारो यस्य) समसाहिथी. भाव.
રહિત દેહવાળું. अस्थियज्ञ त्रि. (अस्थ्नां यशः) मौवहा यानी | अस्थिस्थूण न (अस्थनां स्थूणमिव) &iने. स्तम३५ એક ભાગ.
____घा२५ ४२८२, शरी२. अस्थियुज् पु. (अस्थि युनक्ति युज्+क्विन्) में अस्थिस्नेह पु. (अस्थनां स्नेहः) 35Hiथी. उत्पन्न જાતનું હસ્તિગુંડા નામે વૃક્ષ.
__थनार भ30 धातु, य२वी.. अस्थिर त्रि. (न स्थिरः) स्थिर नलि ते, यंयण, मा. अस्थूरि पु. (न स्था+कूरि) घu घो.मोथी. उस अस्थिरता स्त्री. (अस्थिरस्य भावः) अस्थि.२५५j, यंयणता.
२थ. अस्थिरत्व न. (अस्थिरस्य भावः त्व) अस्थि२५j. अस्थैर्य न. (न स्थैर्य्यम्) स्थिरतानी समाव, यंगता. अस्थिरमति त्रि. (अस्थिरा मतिर्यस्य) अस्थि२ बुद्धिवाणु, अस्थैर्य त्रि. (न स्थैर्य यस्य) स्थिरता नु, यंय. ચંચળ બુદ્ધિવાળું.
अस्नात त्रि. (न स्नातः) से स्नान यु नाथा ते. अस्थिरविभूति त्रि. (अस्थिरा विभूतिः) मस्थिर औश्वय..
अस्नाविर त्रि. (न स्नाविरम्) १. शि२०-२२॥ कानु, अस्थिविग्रह पु. (अत्यन्तकृशत्वात् अस्थिसारो विग्रहो
२. स्थूल शरीरथा शून्य. __ यस्य) शिवनो अनुय२ मुंगरी.
अस्निग्ध त्रि. (न स्निग्धः) स्नेड विनानु. अस्थिविग्रह त्रि. (अत्यन्तकृशत्वात् अस्थिसारो विग्रहो
अस्निग्धदारु न. (अस्निग्धं दारु) विहार- 3, 2.5 यस्य) १. जी. ४ईन. 3. 33. ३५. थयेदा
__ तर्नु व६८२ वृक्ष. શરીરવાળું. ૨. અત્યંત ગળી ગયેલા દેહવાળું.
अस्नेह पु. (न स्नेहः) स्नेहनी अमावा, तसनी अमावा. अस्थिविलय त्रि. (अस्थनां विलयः) पवित्र महीना
अस्नेह त्रि. (न स्नेहः यस्य) स्नेह वसन, तेल वा२नु. પ્રવાહમાં મૃતકનાં હાડકાંને નાખવાં તે.
अस्पन्दन न. (न स्पन्दनम्) १. यसननो समाप, अस्थिशृङ्खला स्त्री. (अस्थनः शङ्खलेव योजनहेतुः)
२. डास-याल नल ते. ___ मे तनु वृक्ष, डाउi.sी...
अस्पन्दन त्रि. (न स्पन्दनं यस्य) जियाशून्य. अस्थिशेष त्रि. (अस्थिमात्रं शेषो यस्य) १. मात्र ___lsi. २६.४di fuथ गये, २. मति हुआ.
अस्पर्श पु. (न स्पर्शः) स्पशन समाव, न .
अस्पर्श त्रि. (न स्पर्शः यस्य) स्५८ २रित.. अस्थिसंचय पु. (मृतस्यास्थ्नां गङ्गाजले प्रक्षेपार्थं सञ्चयः)
अस्पर्शन न. (न स्पर्शनम्) स्पर्शनी समाव. (s પ્રેતને બાળવાની ક્રિયા કર્યા પછી તરત જ તેનાં હાડકાં ગંગામાં નાખવાં – એકઠાં કરવાં તે.
वस्तुन.) स्पशन. mal. - प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य अस्थिसंचयन न. (अस्थ्यां संचयनम्) 6५२नी. अर्थ. हुमी.
दूरादस्पर्शनं वरम् ।। अस्थिसंभव पु. (अस्थि+सम्+भू+अप्) 135मथी.
अस्पर्शनीय त्रि. (न स्पर्शनीयम्) नल स्५० ४२व। ઉત્પન્ન થનાર મજ્જા ધાતુ, ચરબી.
योग्य, न भ334L दायs. अस्थिसंहार पु. (अस्थीनि संहरति अस्थि+संह +अण्)
अस्पर्शयोग पु. (नास्ति स्पर्शः विषयसम्बन्धोऽत्र) એક જાતનું ઝાડ હાડસાંકળ.
વિષયના પ્રતિભાસથી રહિત, નિર્વિકલ્પક જ્ઞાન. अस्थिसंहारिका स्त्री. (अस्थि+संह+ण्वुल्) मे तनु
अस्पर्शित त्रि. (न स्पर्शितम्) न. उस.. 13.
अस्पष्ट त्रि. (न स्पष्टः) स्पष्ट नलि ते, सव्यति.. अस्थिसमर्पण न. (अस्थमां समर्पणम्) मृत 35iने.
-अस्पष्टब्रह्मलिङ्गानि वेदान्तवाक्यानि-शारी०४६ ગંગા અગર બીજી કોઈ પવિત્ર નદીના પાણીમાં કથનથી બંધાયો ન હોય, જેની અંતર્ગત થયું ન પ્રવાહિત કરવું તે.
डोय- अस्पृष्टपुरुषान्तरम् -कु० ६७५
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