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शब्दरत्नमहोदधिः।
[अवैयात्य-अव्यतिकर अवैयात्य त्रि. (न वैयात्यं यस्य) t°°tauj, २, | अव्यक्त त्रि. (न+वि+अ+क्त) अस्पष्ट वस्तु मात्र, લજ્જાની ભાવના રાખવી તે.
અપ્રગટ, અદશ્યમાન, ઉચ્ચારણ કર્યા વગરનું. अवैर न. (न वैरम्) ३२नी समाव, ३२. नहित. | अव्यक्तमूलप्रभव पु. (अव्यक्तं प्रधानं अविद्या वा अवैर त्रि. (न वैरं यस्य) ३२. विनानु, विरोधशून्य. मूलं प्रभवत्यस्मात् प्रभव अपादाने अप् यस्य) संसार अवैराग्य न. (न वैराग्यम्) वै२२य नलित, विषयनी. वृक्ष. तु ..
अव्यक्तराग पु. (न व्यक्तो रागः) थो32 २रातो रं. अवैराग्य त्रि. (नास्ति वैराग्यं यस्य) वैराग्य वगर्नु, अव्यक्तराग त्रि. (न व्यक्ता रागो यस्य) थो.ue. | વિષયાભિલાષાવાળું.
रंगवाणु, पानो . अवैलक्षण्य न. (न वैलक्षण्यम्) विक्षत- मनाव, अव्यक्तराशि पु. (अव्यक्तः राशिर्यत्र) (40%BIतमi) જુદાપણું નહિ તે.
અજ્ઞાત અંક અગર પરિમાણ. अवैलक्षण्य त्रि. (न वैलक्षण्यं यस्य) विक्षत गर्नु, अव्यक्तलक्षण पु. (अव्यक्तं लक्षणं यस्य) शिव. मेह वगरनं.
अव्यक्तलिङ्ग न. (अव्यक्तं लिङ्ग यस्य) सांज्यमतमा अवैशेषिक त्रि. (न विशेषः ठक्) 8 5 विशेष मत्व. वगैरे. परि॥मने ६शवन२ न. डोय, हेर्नु ६ ३५. न. | अव्यक्तलिङ्ग त्रि. (अव्यक्तं लिङ्गमस्य) अस्पष्ट
डोय. -अवैशेषिकोऽयं हेतुः-मी० सू० ११।१।९. | यिो रोग वगरे. अवोक्षण न. (अव+उक्षु+भावे ल्युट) भाउ हाथे - अव्यक्तलिङ्ग पु. (न व्यक्तं लिङ्गमस्य) संन्यासी...
७i2j. - उत्तानेनैव हस्तेन प्रोक्षणं परिकीर्तितम् । | अव्यक्तवर्ण त्रि. (अव्यक्तं वर्णम्) अस्पष्ट भाषel. न्यञ्चताभ्युक्षणं प्रोक्तं तिरश्चावोक्षणं स्मृतम् ।। अव्यक्तव्यक्त पु. (अव्यक्तोऽपि व्यक्तः) शिव. अवोद पु. (अव+उन्द्+भावे घञ्) मी४, ५६ung, | -अव्यक्तरागस्त्वरुण:-अमर० । __wizj, भान ४२. (त्रि. ) भावेल, दाणेस.. अव्यग्र त्रि. (न व्यग्रः) व्यA नति, अनार, स्वस्थ, अवोदेव अव्य. (देवानामवस्तात्) हवाना सव२ देशमi, 5 मम दागेती.. દેવોની નીચેના દેશમાં.
अव्यङ्ग त्रि. (न विकलं अङ्गमस्य) वि.६८. मंगवाणु अवोष पु. (अव+उष् कर्मणि+क) २. मन. ___ERd, vil.3vi५५ २, न.४२, संपू[, सुनिमित. अवोषीय त्रि. (अवोष+हितार्थे छ) १२म अन्नने उतारs | अव्यङ्ग त्रि. (न व्यङ्गं यस्मिन्) व्यं विनानु. વસ્તુ વગેરે.
अव्यङ्गी स्त्री. (अवेरङ्गमिव अङ्गमस्याः) शशिंली नामनी. अवोष्य त्रि. (अवोष+हितार्थे य) 6५२नो. सर्थ. शुओ. वनस्पति. अब्द पु. (अब्दवत्) वर्ष.
अव्यङ्गाङ्गी स्त्री. (अव्यङ्गमङ्गं यस्या ङीप्) संपू अब्दप पु. (अब्दस्य पः पतिः) वर्षनी स्वामी.. અંગવાળી સ્ત્રી. अब्दपति पु. (अब्दस्य पतिः) 6५२नो अर्थ मो. | अव्यङ्गय न. (न व्यङ्ग्य यस्मिन्) १. व्यंया.२ अव्य त्रि. (अवि भवम्, अवि+दिगादि यत्) घेरामा विमान डाव्य, २. ठेभ. नि. अने. व्यंनोनो समाव થનાર ઊન વગેરે.
होय, 3. अपराधडित. अव्यक्त पु. (न वि+अ+क्त) १. विष्ण, २. 50म., | अव्यञ्जन पु. (नास्ति व्यञ्जनं यस्य) १. शीट
3. शिव -अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयम् -भग० २।२५. वन, २. स॥२॥ सक्ष५. विनान, 3. यि २k. ४. सांज्यमतमा सन. ४८२४ात. प्रवृति, | अव्यण्डा स्त्री. (न विगतमण्डं बीजमस्याः) शशिंदी. ૫. વેદાન્તમતમાં નામ અને રૂપથી અવ્યાકૃત એવું | નામની વનસ્પતિ. सन, 9. सूक्ष्म शरीर, ७. सुषुप्त अवस्था. अव्यतिकर पु. (न व्यतिकरः) संसानअमाव.. अव्यक्त न. (न+वि+अङ्ग्+क्त) नि051२ हा, | अव्यतिकर त्रि. (न व्यतिकरः यस्य) संसा विनानु, ५२मात्मा.
સંબંધ રહિત.
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