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अवृत्ति-अवैयात्य शब्दरत्नमहोदधिः।
२१९ अवृत्ति स्त्री. (न वृत्तिर्जीवनोपायः) विद्यमान, यात | अवेदना स्त्री. (न विद् युच्) पी.30 न. ५वी त.. नलित, वि.नो. मनाव.
अवेदनाज्ञ त्रि. (वेदनां न जानातीति ज्ञा+क) वहनाने अवृत्ति त्रि. (न वृत्तिर्यस्य) १. भावि... वरनु, नल ना२.
मावि लित, २. सविधमान, पूरता साश्रय । अवेदविद् त्रि. (अवेद विद् क्विप्) होन न. . २छित. -अवृत्तिकर्षिता हि ली प्रदूष्येत् | अवेदविहित त्रि. (अवेद वि धा क्त) हेर्नु वेहमi स्थितिमत्यपि-मनु० ९७४
विधान. नथी. अवृथा अव्यय. (न वृथा) व्यर्थ नही, सण. | अवेदि स्त्री. (न वेदिवेदनम्) ननो अभाव. अवृथार्थ त्रि. (न वृथा अर्थः) स३.
अवेदि त्रि. (न वेदिर्यस्य) साई ४२६. पृथ्वी कानु. अवृद्धिक त्रि. (नास्ति वृद्धिर्यत्र कप्) व्या४ वगरनु । अवेद्य त्रि. (न वेद्यः) न. 14 योग्य, गुप्त, प्राप्त भूगधन.
२वा योग्य. अवृध (न वर्द्धते वृध+क) वृद्धि ति, नविना२. अवेद्य त्रि. (न+विद् लाभे+ण्यत्) असभ्य, नभिजवा. अवृष्टि स्त्री. (न वृष्टिः) वरसाहनी अमाव., अनावृष्टि. योग्य. अवृष्टि पु. (न वृष्टिर्यस्य) वृष्टिविनानी मेघ. अवेद्य पु. यन. 41७२७.. अवृष्टिसंरम्भ त्रि. (न वृष्टः संरम्भो यत्र) ५२साहनी अवेद्या स्त्री. (न वेद्या) नलि ५२वा योग्य. स्त्री..
माusी. विना मान. १२ना२.- अवृष्टिसंरम्भ- | अवेल त्रि. (नास्ति वेला सीमा यत्र) असाम-सीमा मिवाम्बुवाहम्-कु०
વિનાનું, મર્યાદા વગરનું, અસામયિક–વેળા વગરનું. अवेक्षक त्रि. (अव+ ईक्ष्+ण्वुल्) १. ना२, निरीक्षएा | अवेल पु. (नास्ति वेला सीमा यत्र) अ५८५, 19LNन.
४२८२, २. 04.5-38048 तासना२. मारी. छुपाववी. अवेक्षण न. (अव+ईक्ष् + ल्युट) -तपास, ३५.२५, अवेला स्त्री. (न वेला) .५, अयोग्य. sum.
ધ્યાન રાખવું, કોઈની તરફ જોવું, નજર નાખવી, | अवेला स्त्री. (न वेला यस्याः सा) १. यावे. सोपा,
सेवा. ४२वी. - वर्णाश्रमावेक्षणजागरूकः-रघु. १४८५ । २. यू ४२वी. सोपा.. अवेक्षमाण त्रि. (अव+ईक्ष+शानच्) , तपास, अवेष्ट त्रि. (अव+यज्+क्त) नाश. ४२८.. ध्यानपूर्व ना२. -अवेक्षमाणश्च महीं सर्वा अवेष्टि पु. (राजसूये अवेष्टिसूचकाः पञ्च यज्ञाः) तामन्ववैक्षत-रामा० ५.
में तनो. यश. -ते च यथा-(१) आग्नेयमष्टकपालं अवेक्षणीय त्रि. (अव+ईक्ष्+अनीयर) वा योग्य, निर्वपति हिरण्यं दक्षिणा, (२) ऐन्द्रमेकादशकपालमृषयो તપાસવા યોગ્ય, આદર કરવા યોગ્ય, ધ્યાન રાખવા दक्षिणा, (३) वैश्वदेवं चरुपिशङ्गोपष्ठाही दक्षिणा, योग्य, वि.यार ४२वा योग्य -तपस्विसामान्य- (४) मैत्रावरुणीमामिक्षां वशादक्षिणा, (५) बार्हस्पत्यं मवेक्षणीया-रघु० १४।६७.
चरुशितिपृष्ठो दक्षिणा. अवेक्षा स्त्री. (अव+ईक्ष+अ) अवेक्षण २०६ मी. | अवैध त्रि. (न वैधम्) नियमित नही, हे स्त्रानुसार अवेक्षित त्रि. (अव+ईश्+क्त) लीयेस, तपासेस... नडोय, हे नियम यहा मु४५ न डोय. -अवैधं अवेक्षित त्रि. (अव+ईक्ष्+तृच्) डोनार, तपासना२. पञ्चमं कुर्वन् राज्ञो दण्डेन शुध्यति । (स्त्री.) अवैधी। अवेक्ष्य त्रि. (अव+ईक्ष् कर्मणि+यत्) वा योग्य, अवैध्य त्रि. (न विधितः आगतम् अण्) विधिथी. नलि ____तपासवा योय.
પ્રાપ્ત થયેલ વિધિ વગરનું, નિષિદ્ધ. अवेक्ष्य अव्य. (अव+ईक्ष्+ ल्यप्) न, तपासीन. अवैधव्य न. (न वैधव्यम्) पतिरतिपनी समाव, अवेद त्रि. *नशनमा व. २ति, ६समा गुस्थान3थी. पो. नालि त.. માંડીને સિદ્ધ પર્વતના જીવ.
अवैमत्य न. (न वैमत्यम्) मतपमे.ता. अवेदन त्रि. (नास्ति वेदना यस्य) सात-सातानी. अवैमत्य त्रि. (न वैमत्यम् यस्य) समतवाj. વેદના રહિત.
अवैयात्य न. (न वैयात्यम्) धृष्टतानो अभाव, अवेदन पु. (नास्ति वेदना यस्य) सिद्ध भगवान... સલજ્જપણું, લજ્જાયુક્તપણું.
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