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१०४ शब्दरत्नमहोदधिः।
[अपगर-अपटान्तर अपगर पु. (आ निन्दार्थे गृ भावे अप्) ४२वी, | अपचिकीर्षु त्रि. (अपकर्तुमिच्छुः अप कृ सन् उ) निहन, 121२, ouो हेवा. ते, नं.
અપકાર કરવા ઈચ્છનાર. अपगर्जित त्रि. (अप गर्न क्त) गठना२लित, गर्डनाशून्य. अपचित् त्रि. (अप चि क्विप्) १. नि.२७ अपगा स्त्री. (अपगच्छति निष्यन्दते अप+गम्+ड) २. व्यय१२3, 3. अ५४२९॥ ४२८२. नही.
अपचित त्रि. (अप घाय क्त) भानही. पूठेस.. अपगारम् अव्य. (अप+गुरी उद्यमने णमुल आच्छ अपचित त्रि. (अप चि क्त) १. जान, २. व्यय ७२८, वा) भने.
3. क्षी.ए, ४. १२, ५. अ५४२९४२८... अपगोरम् अव्य. (अप+गुरी उद्यमने णमुल् एच्च वा) |
अपचिति स्त्री. (अप+चि+क्तिन्) १. हीनता, 6५२नो स..
२. पर्य-व्यय, 3. ॥२, ४. क्षय. - विहिताऽपचिअपगोह पु. (अप गुह घ) धुपाव, अश्य. थ.
तिर्महीभृता - शिशु० १६९ अपघन पु. (अपहन्यते अप+हन्+अप् घनादेशः)
अपचितिस्त्री. (अप चाय क्तिन् चायतेश्चिः)पू.1, मा३. १. शरी२, २. य. वगै३ शरीरमा अवयव...
अपची स्त्री. (न पच् अच् डीप) नो रोग, मा अपचन त्रि. (अपगतो घनो मेघो यस्मात्) मेघना
ગળાની અંદર ગાંઠ થાય તે. આવરણ રહિત, વાદળાં વિનાનું.
अपघीयमान त्रि. (अप चि-कर्मकर्तरि शानच्) क्षय अपघात पु. (अप हन् घञ्) १. दुष्ट तुवाणु भ२५,
पामतुं, न पाम, ओछु यतुं.
अपच्छन्त्र त्रि. (अपगतं छत्रं यस्य) छत्री विनानी. २. शबरीत भ२, 3. विश्वासघात, 542, ४. भाऽस्मि. साधात.
अपच्छाय पु. (अपगता देहच्छाया कान्तिर्वाऽस्य) हेव.
માત્ર, કારણકે તેમને છાયા હોતી નથી. अपघातक पु. (अपहन्ति अप हन् ण्वुल्) धात. 5२४२,
अपच्छाय त्रि. (अपगता देहच्छाया कान्तिर्वाऽस्य) ति. विनाश, ना ४२८२, 4.५ ४२८२, विश्वासघाती..
२डित, निस्ते४. अपघातिन् त्रि. (अप हन् कर्तरि णिनि) 6५२नो सार्थ
अपच्छेद पु. (अप छिद् घञ्) पीन. ३४ी. हे, , अपच पु. (न पक्तुं शक्तः अच्) राघवाने. २d,
अपच्यव पु. (अप+ज्युङ् गतौ भावे अप्) अ५स२५, મૂર્ખ રસોઈયો, એક પ્રકારની ગાળ.
स, नीsnj, २. अपचय पु. (अप चि भावे अच्) व्यय, नि., 1५७२५५,
अपच्युत त्रि. (अप च्यु कर्तरि क्त) ६.५। .येस, क्षय सवमति, असता , त्रुटि.
पामेल, नष्टप्राय, ॐ गयेल. अपचरित न. (अपकृष्टं चरितम्) १. ५२५ यरित,
अपञ्चीवृत त्रि. (अपञ्चात्मकः पञ्चात्मकः कृतः २. डी. माय२५, अपराध.
न० त०) पाय५९.ने. नलि पाभेल. सूक्ष्म, भूत. अपञ्चार पु. (अप चर् भावे घञ्) १. माहित. भाय२५ | अपजय पु. (अप+जि भावे अच्) ५२०४य.
२. सपथ्य सेवन, 3. 14.51२, ४. अ५थ्य, ५. | अपजर्गुराण त्रि. (अप+गृ-यङ्लु क्-ताच्छील्ये चानश्) વિપરીતપણું વગેરેનો કારણદોષ, વિનાશ, કર્મના આચ્છાદન વગેરે મૂકવાનાં સ્વભાવવાળું. दोपथी प्राप्त. थनारो होष, २ म, प्रस्थान, | अपजात पु. (अप जन् क्त) उपूत, निकृष्ट संतान, मृत्यु, हानि.१२.3, 5ष्टरी आय२९. - -राजन् ! माता पिताना गुो समान. न. डोय ते. -
प्रजासु ते कश्चिदपचारः प्रवर्तते-रघु. १५१४७ -मातृतुल्यगुणो जातस्त्वनुजातः पितुः समः । अपचारिन् त्रि. (अप चर् तच्छीलार्थे कर्तरि घिनुण) अतिजातोऽधिकस्तस्मादपजातोऽधमाधमः ।।
२. म. १२८२, दुष्ट माय.२५॥ १२॥२, | अपज्ञान न. (अप ज्ञा ल्युट) गुप्त राम, छुपाव. વ્યભિચારી, હીણું આચરણ.
अपटान्तर त्रि. (पटेन तिरस्करिण्या अन्तरमत्र न० त०) अपञ्चिकीर्षा स्त्री. (अपकर्तुमिच्छा अप कृ सन् भावे ) ૧. વચમાં પડદાના અંતર વિનાનું, અવ્યવહિત, स्त्रियाम् अ) १. दीड, २. ५.१२ १२वानी. ६२७. २. पार्नु, समानु, उ. मुत्यु..
एम.
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