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द्वितीयकाण्डम् ર૪૮
अन्त्यवर्णवर्ग:११ नना शुल्वं वराटः स्त्री-रज्जु स्त्रिषु वटी गुणः । चौयं तु चोरिका स्तेयं स्थाल्लो चौरिका धनम् ॥३२॥ *सूत्रं तन्तौ वायदेण्डो वेमा व्युतिस्तु वाणिषु । अरहट्टो घटी यन्त्रे कूपात्सलिलवाहने ॥३३॥ पुंसि पेषण यन्त्र स्याद् घरट्टोऽञ्जी तथा स्त्रियाम् । कूटयन्त्रं तदुन्माथो मृगपाशस्तु वागुर। ॥३४॥ बन्धने लोभ हेतुस्तु पीतंसो मृगपक्षिणाम् । पाञ्चाली पुत्रिके तुल्ये भारयष्टि विहंगिका ॥३५॥
हिन्दी-(१) रस्सी (डोरी) के पांच नाम-शुल्व १ स्त्री०, नपुं०, वराट २ पु०, रज्जु ३ स्त्री०, वटी ४ त्रि०, गुण ५ पु० । (२) चोरी के तीन नाम-चौर्य १ स्तेय क नपुं०, चोरिका३ स्त्रो.। (३) चोरो से आये धन के एक नाम-लोत्र १ नपुं। (४) सूत के दो नाम-सूत १ नपुं०, तन्तु २ पु० । (५) वेमा (जुलहे की कंघी) के दो नाम-वायदण्ड १ वेग (वेमन्) २ पुः । (६) रूई धुनने के डंडे के दो नाम-व्यूति १ वाणि २ जी० । () अरहट्ट के एक नाम-मरहट्ट १ पु० । (८) चक्की (जिससे आंटा पीसते है) के दो नाम-घट्ट-१ पु०, अज्जो २ स्त्री० । (९) कंपा (कंपास वांस का छोटा धनुष जिसमें लासा लगाकर चिड़ियों को पकड़ते है) के दो नाम-कूटयन्त्र १ नपुं०, उन्माथ२ पु० । (१०) फंदा (रस्सी का घेरा) के दो नाम-मृगपाश १ पु० वागुरा २स्त्री। (११) मृगपक्षियों को पकड़ते समय में ललचाने के वस्तु को 'वोतंस' कहते हैं पु० । (१२) पुतली स्त्री की आकृति का वस्त्रादि निर्मित पुतला के दो नाम-पंचाली १ पुत्रिका २ स्त्री० । (१३) भार की लकड़ी के दो नाम-भारयष्टि १ बिहंगिका २ स्त्री० ।
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