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द्वितीयकाण्डम्
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वणिग्वर्गः १० धेनुष्या पीतदुग्धाया संस्थिता दुग्धबन्धके ॥३४॥ क्लीबे द्वे ऊँध आपीने रज्जुः सन्दान दामनी । दोरं तु दोरकं दोघे दोग्धारो दोह कर्मकृत् ॥३५॥ मन्यास्तु मन्थमन्थान वैशाखाः खञ्जकस्तथा । दधिमन्थान पात्रन्तु गर्गरो मन्थनी मता ॥३६॥ मेषैड़को-रणो-रभ्रोर्णायु-मेंद्राऽविवृष्णयः । बस्ताऽज-च्छागलस्तभा छागी त्वजास्त्रियाम्।।३७।।
गडेरे' गड्डरौं पाले चाले मेपस्य गड्डेलिः रिः । (१) ऋण लेने वाले को व्याई गाय इस वर्ष का दूध ऋणदाता को देकर अपने मालिक को ऋग से मुक करा सके ऐसे गाय के दो नाम-धेनुष्या १ पीतदुग्धा २ स्त्री० । (२) गाय के ऊधस् (उवारे) के दो नाम- ऊधसू १ पीन २ नपुं० । (३) पशु आदि के बन्धन डोरी के तान नाम-रज्जु१ (दामनी, दामा) स्त्री० सन्दान २, दाम ३ नपुं० । (४) डारे के सामान्य दो नामदोर १ दोरक २ नपुं० (५) दूध दूहने वाले के दो नाम-दोघ १ दोग्धा २ पु० । (६) रवैया [दधि विलोडन] के पांच नाममन्था १ मन्थ ३ मन्थान ३ वैशाख ४ खञ्जक ५ पु० (७) जिसमें दही वलोवें उस वर्तन के दो नाम-गर्गरी १ मन्थनी २ स्त्रो० । (८) मेष [भेंड, गाडर] के आठ नाम- मेष १ एडक २ उरण ३ उरभ्र ४ ऊर्णायुस् ५ मेढू ६ अवि ७ वृष्णि ८ पु०। (९) छोग (बकरे) के पांच नाम-वस्त १ अज २ छागल ३ छाग ४ स्तम्भ ५ पु०। (१०) बकरी के दो नाम- छागी १ अजा २स्त्रो० । (११) गाडर (मेष) पाल के दो नाम- गडेर १ गड्डर २ पु० । (१२) भेंड चराने वाले के एक नाम-गड्डलि (गड्डरि) १ पु० ।
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