________________
द्वितीयकाण्डम्
२१६
क्षत्रियवर्गः ९
ज्याघात वारणे गोधा ज्या मौर्वीत्री गुणः पुमान् ॥ ९८ ॥ शरोत्विषु यो बण विशिखाssशुग मार्गणाः । लौहवाणस्तु नाचो, बाजपक्षावुभौ समौ ॥९९॥ विषाक्ते लिप्तको लिप्तो निरस्तः प्रहिते त्रिषु । निषङ्गः तूण तुणोरो- पास- बुधयः समाः ॥ १०० ॥ खेद्रः कौक्षेय कोरिष्टि स्तखारिः कृपाणकः । चन्द्रहासाऽसि नित्रिंशा ईलिकी तु कटीतलः ॥१०१॥ अज्झेलं फलक ढाल पैरिवे परिघातनम् ।
(१) धनुष की डोरी के आधात वारण हेतु निर्मित अंगुलित्राण का एक नाम - गोधा १ स्त्री,, ([ तल] तला २ नपुं० स्त्री० ज्याघातवारण ३ नपुं) (२) धनुष के डोरी के तीन नाम -ज्या १ [शिञ्जिनी] मौर्वी २ स्त्री, गुण ३ पु, । (३) बाण के छ नाम -शर १ बाण २ विशिख ३ आशुग ४ मार्गण ५ पु० इषु ६ पु० स्त्री, (४) लोह बाण का एक नाम - नाराच १ पु० । (५) बाण में लगाये गये पंख के दो नाम - बाज १ पक्ष २ पु । (६) विषदिग्ध बाण के तीन नाम - विषाक्त १ लिप्तक २ लिप्त ३ पु, । (७) जो बाण हाथ से निकल गये हो उसका एक नाम - निरस्त १ त्रिलिङ्ग । (८) बाण की थैली के पाँच नाम - निषङ्ग १ तूण २ तूणीर ३ उपासङ्ग ४ इषुधि ५ पु० । (९) तलवार के आठ नाम-स्वन १ कौक्षेयक २ रिष्टि ३ तलवारि ४ कृपाणक ५ चन्द्रहास ६ असि ७ निस्त्रिंश ८ पु० । (१०) कटार के दो नाम - ईलिका [ करवालि का] १ स्त्री, कटीतल २ पु० । (११) ढाल के तीन नाम - अज्कल १ फलक २ ढाल ३ नपुं । (१२) परिघ (अस्त्र विशेष ] के दो नाम परिघ १ पु० परिघातन २ नपुं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org