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द्वितीयकाण्डम्
क्षत्रियवर्गः १ भिन्दिपालः मृगस्तुल्यौ मुद्गरे दुधणो घनः ॥१०२।। मुष्टिः फलस्य संग्राहः खड्गादीनां तु सात्सरुः । एषां तीक्ष्णं मुखं धारा मेखला मुष्टिबन्धनम् ।।१०३॥ कुठारः परशुः पशुः कुठारी स्त्री परश्वधः । स्त्री वासि स्तक्षणीवास्य-मर्सिपुत्रो छुरी समे ॥१०४॥ शल्यं क्लीवे पुमान् शङ्कु र्वाण ग्रथितमायुधम् । शबली तोमरो न स्त्री प्रासे: कुन्तश्च भल्लवत् ॥१०५॥
(१) गोफन के दो नाम--भिन्दिपाल १ सृग १ पु. । (२) गदा के दो नाम-द्रुघण १ घन २ पु० । (३) ढाल के मूठ का एक नाम - संग्राह १ पु०। (४) तलवार आदि के मूठ का एक नाम- सरु १ पु० । (५) शस्त्र अस्त्रों को धारा (धार) के तोन नाम- तोदश १ मुखर २ नपुं०, धारा ३ स्त्री० । (६) मूठ के बंधन के दो नाम-मेखला १ स्त्री०, मुष्टिबन्धन २ नपुं० । (७) कुठार के आठ नाम- कुठार १ परशु २ पशु ३ पु०, कुठारी ४ स्त्री०, परश्वध ५ पु०, असि (वाऽसिवासी]६ स्त्रो. पु०, तीक्ष्णो ७ स्त्री०, वास्य ८ नपुं । (८) छुरी के दो नाम-असीपुत्रो १छुरो २ नपुं.। (९) लोह से संयुक्त हथियार के दो नाम- शल्य १ नपुं०, शङ्घ २ पु० । (१०) शस्त्र विशेष (गैडासा) के दो नाम-शर्वला १ स्त्री०, तोमर २ पु० नपुं० । .(११) भाला के दो नाम-प्रास १ कुन्त २ (भल्ल, भल्लक) पु०॥
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