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द्वितीयकाण्डम्
क्षत्रियवर्गः ९ स्यादगर्वनरः कर्म-मन्त्री तदवरस्तु यः ॥५॥ स कर्मेशनरः तप्पोऽधीशस्तु करकूटनः। न्यायाधीशस्त्वक्षपाटो धार्मिकोऽथ मनस्विपः ॥६॥ विवादाधिपतिः स्थेयः प्रान्तेशो मध्यदेशराट् । सेककोऽर्थ्यऽनु जीवीस्यात्कोट्टपाले तु मुद्रकः ॥७॥ मुखतारो मुख्यतरः स्यान्मनस्वा तु मुद्रकः । औदघाटिकः पुलोशैस्तु पुरीशो यामिकाधिपे ॥८॥ पुंस्युदघाटः स्त्रियां स्थानो यामिकाधिपति स्थलम् ।
(१) गवर्नर का का एक नाम-गर्वरनर १ पु० । (१) इनके अधिकार में काम करने वाले का एक नाम-कर्ममन्त्री १ पु०। ( शिक्षामन्त्री आदि ) (३) कमिश्नर का एक नाम-कर्मेशनर १ पु. । (४) कलेक्टर के दो नाम-तप्पाऽधीश १ करकटन २ पु. । (५) जज के तीन नाम-न्यायाधीश १ अक्षपाट २ धार्मिक ३ पु. । (६) मुन्सीफ का एक नाममनस्विप १ पु. । (७) मजिष्ट्रेट के चार नाम-बिवादाधिपति १ स्थेय २ प्रान्तेश ३ मध्यदेशराटू ४ पु. । (८) सेवक के तीन नाम- सेवक १ अर्थो २ अनुजीवी ३ पु. । (९) कोतवाल के दो नाम-कोट्टपाल १ कोट्टप २ पु. । (१०) मुखतार के दो नाम-मुखतार १ मुख्यतर २ पु.। (११) मुन्शी (मोहरिर) के दो नाम-मनस्वी १ मुद्रक २ पु. । (१२) हवलदार का एक नाम-औद्धाटिक १ पु. । (१३) पुलीश के दो नाम-पुलीश १ पुरीश २ (यामिकाधिपति) पु. । (१४) थाने के तीन नाम उद्बाट १ पु., स्थानी २ स्त्री., यामिकाधिपति स्थल ३ नपुं.।
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