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द्वितीयकाण्डम्
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वशवगः८ सञ्चः पत्रे पुमान् सञ्ची पत्रिकाद्वे स्त्रियामिमे॥३६॥ पट्टैः शाणिः शिलापट्टः खटिका कठिनी खटी। पुंसि विद्यालयः पाठ-शाला स्त्री पाठवेश्मनि ॥३७॥ मार्जन्यमयी याऽऽस्ते सा रजोईरण नना । सैवाऽल्पिष्ठा पुंसि गोच्छ: पुजनी च प्रमाणिका ॥३८॥
रजोदरणदण्डस्थ वस्त्रं नैषधमुच्यते।। क्लीबं प्रावरणं पुंसि पावारः शाटिका स्त्रियाम् ॥३९॥ ऊर्ध्ववस्त्रमधोवस्त्रे चोलेपट्ट इति स्मृतः। मुखबद्धे खण्डवस्त्रे स्यात्स्त्रियां मुखवै स्त्रिका ॥४०॥ श्रमणोपासकः श्राद्धः श्रावकश्च समा इमे।
(१) समाचार पत्र के तीन नाम-सञ्च १ पु० (पत्र नपुं०), सञ्ची २ पत्रिका ३ स्त्रो० । (२) सिलेट (पाटी) के तीन नामपट्ट १ शाणि २ शिलापट्ट ३ पु० । (३) खड़ी के तोन नामखटिका १ कठिनी २ खटो ३ स्त्री० । (४) पाठ भवन के दो नाम-विद्यालय१ पु०, पाठशाला २ स्त्री. (पाठशालम् नपुं०)। (५) रजोहरण का एक नाम-रेजोहरण १ नपुं० । (६) पुंजनी के तीन नाम-गोच्छ १ पु०, पुञ्जनी २ प्रमाणिका ३ स्त्रो० । (७) रजोहरण दण्ड के वस्त्र का एक नाम-नैषध नपुं० । (८) जैन साधू के शरीर के उपरि वन के तीन नाम'प्रावरण १ नपुं०, प्रावार २ पु०, शाटिका ३ स्त्री० । (९) जैन साध के परिधानीय वन का एक नाम-चोलपट्ट १ पु० । (१०) सदोरक मुहपत्ती का एक नाम-मुखवत्रिका (मुखपत्रिका) १ सी०। (११) श्रावक के तीन नाम-श्रमणोपासक १ श्राद्ध २ श्रावक ३ पु० ।
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