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द्वितीयकाण्डम्
मानववर्ग: अवैभ्रटोऽवटीटोऽवनाटो यो नतनासिकः। न्यूनाङ्गे स्यादपोगण्डः खरणा स्तीक्ष्णनासिकः ॥४२॥ दुर्बलाऽमासलौ तुल्यौ बलिन्यसलमासली । स ः संहतजानुः स्यात्प्रजु विरल जानुक्कः ॥४३॥ स्यात्कृतनासिको विग्रः खुरेणाः स्थूलनासिकः। एकाक्षे कननः काणः केकरो वलिरस्तथा ॥४४॥ स्यादे'डो बधिरे कब्जे न्युब्जो गड्डल इत्युभौ । रोगाथै दैषिते हस्ते कुँणि मुण्डैस्तु मुण्डिते ॥४५॥
(१) चिपटी नाक वालों के चार नाम-अवभ्रट १ अवटीट २ अवनाट ६ नतनासिक ४ पु० । (२) स्वाभाविक न्यूनाधिक : अङ्ग वालों का एक नाम-अपोगण्ड (पोगण्ड, विकलाङ्ग) १ पु० । (३) तोखो नाकवाले का एक नाम-खरण (खरणसू) १ पु० । (४) दुबळे के दो नाम-दुर्बल १ अमांसल २ पुं० । (५) बलवान् के दो नाम-अंसल १ मांसल २ पुं०। (६) सटी हुई जंघावालों के एक नाम-संजु १ पुं०। (७) अलग २ जंघावाले के एक नाम-प्रक्षु १ पु० । (८) कटी नाकवाले का एक नाम-विग्र १ पु० । (१२) मोटो नाकवाले का एक नाम-खुरणा (खुरण स्) १ पु० । (१०) एक आंख वाले के पांच नाम-एकाक्ष १ कनन २ काण ३ केकर ४ बलिरे ५ पु०। (११) बहिरे के दो नाम-एड १ बधिर २ पु० । (१२) कुबडे के तोन नाम-कुब्ज १ न्युज २ गड्डुल ३ पु० । (१३) रोगादि से जिनके हाथ विगडे हैं एक नाम-कुणि १ पु० । (१४) खण्डित केशवाले का एक नाम-मुण्ड १ पु० ।
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