________________
द्वितीयकाण्डम्
१३७ धान्यादिवर्गः५ क्षुद्' बुभुक्षा क्षुधा तुल्यास्तृत पिपासा तृषास्तथा । सपीतिः सहपानं स्यास्त्रियां सग्धिः सहाशनम् ॥४३॥ भुक्तशिष्ट मथोच्छिष्टं फेला भुक्तोज्झिते खियाम् । चुलुकश्चुलु गण्डूषौ तृप्तौ सौहित्र्यं तर्पणे ॥४४॥ स्याद् घरट्टः शिलाचक्रं तस्य दण्डेतु हस्तकम् । चक्रेला चक्रिका द्वेस्तः साधनी वेलिनी स्त्रियाम् ४५
शिलापुत्रः शिलालोष्टो घर्षणालस्तु पेषणी । (१) भुख के तीन नाम-क्षुध् १, बुभुक्षा २ क्षुधा ३ स्त्री० । (२) प्यास के तीन नाम-तृट् १ पिपासा ३ तृषा ३ स्त्रो० । (३) साथ २ पोने के दो नाम-सपीति १ स्त्री०, सहपान २ नपुं० । (४) साथ २ भोजन के दो नाम--सग्धि १. स्त्री०, सहाशन २ नपुं. । (५) भोजन करके जो शेष बचे उसके दो नाम—भुक्तशिष्ट (रसोइ में बचे) १, उच्छिष्ट (थाली में वचे) २ त्रिलिङ्ग । (६) पहले भोग चुके अब छोड़े हैं ऐसे विषय का एक नाम-फेला १ स्त्रो० । (७) चुलुक के तीन नाम-चुलुक १ चुल २ गण्डूष ३ पु० । (८) तृप्ति के दो नाम--सौहित्य १, तण २ नपुं० (९) चक्की के दो नाम-घरट्ट १ पु०, शिलाचक्र २ नपुं० । (१०) चक्की के दण्ड का एक नाम-हस्तक १ नपुं.। (११) चकला के दो नाम-चक्रला १ चक्रिका २ स्त्री० (१२) वेलन के दो नाम-साधनी १, वेलनी २ स्त्री० । (१३) शिला के ऊपर हल्दो आदि जिस पत्थल के टुकडे से पिसे जाँय उस छोटे टुकडे के दो नाम-शिलापुत्र १, शिलालोष्ट २ पु० । (१४) जिस पर पीसा जाय उस पत्थर के दो नाम-घर्षणाल १ पु०, पेषणी२ स्त्री०।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org