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द्वितीयकाण्डम् १३५ धान्यादिवर्ग:५
कलाकेन्दः कुण्डलिनी वटाका घृत पूंरकः । कार्थः प्रहेर्लकश्चम्ल-पानीयं शर्करोदकम् ॥३७॥ स्फुटितं चलिंक पेष्ठा स्त्रियां सेवनैमोदकः । पूर्णपोली वेट्टमिका पर्पटी वटकैस्तथा ॥३॥
काजीयवटकं खान-पानं सेविच पोलिको । (१) कलाकन्द का एक नाम-कलाकन्द १ पु० । (२) जलेवी का एक नाम-कुण्डलिनी १ स्त्री० । (३) बड़ा का एक नामवटाका १ स्त्री० । (४) घेवर का एक नाम-घृतपूरक १ पु०। (५) अदहन का एक नाम-काथ १ पु० । (६) दोपहर के पीछे का भोजन का एक नाम-पहेलक १ पु० । (७) मसाले संयुक्त खट्टे पानी का एक नाम-अम्लपानीय १ नपुं. । (८) शर्बत का एक नाम-शर्करोदक १ नपुं० । (९) भूजा (चवाणा) का एक नाम-स्फुटित १ नपुं. । (१०) घोमें गूंदे हुए
आंटे का एक नाम-चलिक १ नपुं० । (११) पेठा का एक नामपेष्ठा १ स्त्री० । (१२) सेव के लड्डू का एक नाम-सेवनमोदक १ पु० । प्रणपोलो का एक नाम-पूर्णपोली १ स्त्री० । (१३) वेष्टन रोटी के एक नाम-वेमिका १ स्त्री० । (१४) पापड़ का एक नाम पर्पटी १ स्त्रो । (१५) चिलडे (बड़ा) के एक नामवटक १ पु० । (१६) दहीबड़ा का एक नाम-काजीयवटक १ नपुं. । (१७) खान पान के एक नाम-खानपान नपुंद । (१८) सेव का एक नाम-सेवि १ पु० । (१९) पुलाक का एक नामपोलिका १ स्त्री० ।
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