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द्वितीयकाण्डम्
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धान्यादिवर्गः ५
वानेयं स्थूलमूलं स्यान्मूलैकं हस्तिदन्तकम् ॥२०॥ ओल्लेओलःपुंसि पिण्डी तकस्तु स्वादुकन्दकः । आरवे स्यादाखी स्त्री राजालु स्वारु रारुकः ॥२१॥ कोलकन्दे पुटार्ना हस्तिर्कन्दोऽति कन्दके । स्तम्भालु धरणीकन्द स्तुल्ये रक्तोलुकाऽऽलुके ||२२|| सुन्दः स्यात्तु वाराही कन्दं क्लीवे महौषधम् । कन्दोलकं सुकन्दं स्यात् शोघ्नीतु पुनर्नवा ||२३|| पुष्पं गोभी पत्रगोभी ग्रन्थिगोभी च गोभिका ।
हिन्दी - ( १ ) सलगम के दो नाम - वानेय १, स्थूलमूल २ नपुं० । (३) मूलीके दो नाम-मूलक १, हस्तिदन्तक २ नपुं० । (३) सुरण के दो नाम - ओल्ल १, ओल २ पु० । (४) तेकुना के दो नाम - पिण्डीतक १, स्वादुकन्द २, पु० । (५) अरुवी (जिस के पत्ते अकिञ्चन हैं), के दो नाम - अरव १, आरवी २ पुंखी ० । ( ६ ) आरु (मोट अरवीकण्डा) के दो नाम - राजालु (१) आरु २, आरुक ३ पुं० । (७) कोलकन्द (रक्तवर्ण स्वम्भारु) के दो नाम - कोलकन्द १, पुटालु २ पु० । ( ८ ) सफेद खमहारु के चार नाम - हस्तिकन्द १, अतिकन्द २, स्तम्भारु ३, घरणीकन्द ४ ० । ( ९ ) सकरकन्द के दो नाम - रक्तालुका १, आलुका २ स्त्री० । (१०) वाराहीकन्द ( सुथनी उत्तर बिहार में होता है) के तीन नाम - सुकन्द १, वाराहीकन्द २ महौषध ३ नपुं० । (११) आलु के दो नाम कन्दालुक १, सुकन्द २ नपुं० । (१२) पुनर्नवा (गदह पुड़ैना, गजपुडैना) के दो नाम - शोथन्नो १, पुनर्नवा २, स्त्रो० (१३) गोभी के चार नाम - पुष्पगोभी १, पत्र
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