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आराधना कथाकोश मार्जनादि आवश्यक क्रियाओंसे निबट उन्होंने स्नान किया और निर्मल वस्त्र पहर भगवान्की विधिपूर्वक पूजा की। रोजके माफिक आज भो चेटक महाराजने अपनी राजकुमारियोंके उस चित्रपटको पूजन करते समय अपने पास रख लिया था और पूजनके अन्त में उस पर फूल वगैरह डाल दिये थे। ____ इसी समय श्रेणिक महाराज भगवान्के दर्शन करनेको आये। उन्होंने इस चित्रपटको देखकर पास खड़े हए लोगोंसे पूछा-यह किनका चित्रपट है ? उन लोगोंने उत्तर दिया-राजराजेश्वर, ये जो विशालाके चेटक 'महाराज आये हैं, उनकी लडकियोंका यह चित्रपट है। इनमें चार
लड़कियोंका तो ब्याह हो चुका है और चेलिनी तथा ज्येष्ठा ये दो लड़कियाँ ब्याह योग्य हैं। सातवीं चन्दना अभी बिलकूल बालिका है। ये तीनों ही इस समय विशालामें हैं। यह सुन श्रेणिक महाराज चेलिनी और ज्येष्ठा पर मोहित हो गये । इन्होंने महल पर आकर अपने मनकी बात मंत्रियोंसे कही । मंत्रियोंने अभयकुमारसे कहा-आपके पिताजीने चेटक महाराजसे इनकी दो सुन्दर लड़कियोंके लिये मँगनी की थी, पर उन्होंने अपने महाराजको अधिक उमर देख उन्हें अपनी राजकुमारियोंके देनेसे इन्कार कर दिया। अब तुम बतलाओ कि क्या उपाय किया जाये जिससे यह काम पूरा पड़ हो जाय ।
बुद्धिमान् अभयकुमार मंत्रियोंके वचन सुनकर बोला-आप इस विषयकी चिन्ता न करें जबतक कि सब कामोंको करनेवाला मैं मौजद हूँ। यह कहकर अभयकुमारने अपने पिताका एक बहुत सुन्दर चित्र तैयार किया और उसे लेकर साहकारके वेष में आप विशाला पहुँचा। किसी उपायसे उसने वह चित्रपट दोनों राजकुमारियोंको दिखलाया । वह इतना बढ़िया बना था कि उसे यदि एक बार देवाङ्गनाएँ देख पाती तो उनसे भो अपने आपमें न रहा जाता तब ये दोनों कुमारियाँ उसे देखकर मुग्ध हो जाँच, इसमें आश्चर्य क्या। उन दोनोंको श्रेणिक महाराज पर मग्ध दख अभयकुमार उन्हें सूरंगके रास्तेसे राजगह ले जाने लगा। चेलिनी बड़ी धूर्त थी। उसे स्वयं तो जाना पसन्द था, पर वह ज्येष्ठाको ले जाना न चाहती थी । सो जब ये थोड़ी ही दूर आई होंगी कि चेलिनीने ज्येष्ठा से कहा-हाँ, बहिन मैं तो अपने सब गहने-दागीने महल होमें छोड़ आई हूँ, तू जाकर उन्हें ले-आ न ? तबतक मैं यहीं खड़ी हूँ। बेचारी भोलीभाली ज्येष्ठा इसके झाँसेमें आकर चलो गई । वह आँखोंको ओट हुई होगी कि चेलिनी वहाँसे रवाना होकर अभयकुमारके साथ राजगृह आ गई।
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