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आराधना कथाकोश करें ? इधर जैसे-जैसे समय बीतने लगा, रानी भूखसे बेचैन होने लगी। रानीको दशा देवरतिसे नहीं देखी गई। और देख भी वे कैसे सकते थे ? उसीके लिए तो अपना राजपाट तक उन्होंने छोड़ दिया था । आखिर उन्हें एक उपाय सूझा । उन्होंने उसी समय अपनी जाँघ काटकर उसका मांस पकाया और रानीको खिलाकर उसकी भूख शान्त की। और प्यास मिटानेके लिए उन्होंने अपनी भुजाओं का खून निकाला और उसे एक औषधि बता कर पिलाया। इसके बाद वे धीरे-धीरे यमनाके किनारे पर आ
पहँचे । देवरतिने रानीको तो एक झाड़के नीचे बैठाया और आप भोजन• सामग्री लेनेको पासके एक गांवमें गये । __यहाँपर एक छोटा-सा पर बहुत ही सुन्दर बगीचा था। उसमें एक कोई अपंग मनुष्य चड़स खींचता हुआ और गा रहा था। उसकी आवाज बड़ी मधुर थी। इसलिए उसका गाना बहुत मनोहारी और सुननेवालोंको प्रिय लगता था। उसके गानेकी मधुर आवाज रक्तारानीके भी कानोंसे टकराई। न जाने उसमें ऐसी कौन-सी मोहक-शक्ति थी, जो रानीको उसने उसी समय मोह लिया और ऐसा मोहा कि उसे अपने निजत्वसे भी भला दिया। रानी सब लाज-शरम छोड़कर उस अपंगके पास गई और उससे अपनी पाप-वासना उसने प्रगट को। वह अपंग कोई ऐसा सुन्दर न था, पर रानी तो उस पर जी जानसे न्यौछावर हो गई। सच है, "काम न देखे जात कुजात" | राजरानीकी पाप-वासना सुनकर वह घबराकर रानीसे बोला-मैं एक भिखारी और आप राजरानी, तब मेरी आपकी जोडी कहाँ ? और मुझे आपके साथ देखकर क्या राजा साहब जीता छोड़ देंगे ? मुझे आपके शूरवीर और तेजस्वी प्रियतमकी सूरत देखकर कैंपनी छूटती है । आप मुझे क्षमा कीजिये । उत्तरमें रानी महाशयाने कहाइसको तुम चिन्ता न करो । मैं उन्हें तो अभी ही परलोक पहुँचाये देती हूँ। सच है, दुराचारिणी स्त्रियाँ क्या-क्या अनर्थ नहीं कर डालतीं। ये तो इधर बातें कर रहे थे कि राजा भी इतने में भोजन लेकर आ गये। उन्हें दूरसे देखते ही कुलटा रानीने मायाचारसे रोना आरम्भ किया। राजा उसकी यह दशा देखकर आश्चर्यमें आ गये। हाथके भोजनको एक ओर पटककर वे रानीके पास दौड़े आकर बोले-प्रिये, प्रिये, कहो ! जल्दी कहो!! क्या हुआ ? क्या किसीने तुम्हें कुछ कष्ट पहुंचाया ? तुम क्यों रो रही हो? तुम्हारा आज अकस्मात् रोना देखकर मेरा सब धैर्य छूटा जाता है । बतलाओ, अपने रोनेका कारण, जल्दी बतलाओ ? रानी एक लम्बी आह भरकर बोली-प्राणनाथ, आपके रहते मुझे कौन कष्ट पहुंचा
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