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देशी शब्दकोश सिंदोल --खजूर (पा ३६८)। सिंदोला-खजूरी, खजूर का पेड़ (दे ८।२६)। सिंपुअ-भूतगृहीत, भूताविष्ट (दे ८।३०) । सिंबलि-वाल्मली वृक्ष (भ ७।१३) । सिंबलिगि-शाल्मली वृक्ष-सिंबलिगि विउन्वित्ता तथारुभिऊणं कति'
(सूचू १ पृ १२६)। सिंबाडी-नाक से होने वाली आवाज (दे ८।२६)। सिबीर-पलाल (दे ८।२८)। सिम-श्लेष्म, कफ (प्र १०६) । सिंव-नाव के बीच का स्तंभ जहां पाल बांधा जाता है (निचू १७४) । सिंहलिआ-शिखा, चोटी (पा १४)। सिकुत्थी-जलचर परिसर्प-विशेष (अवि पृ ६६) । सिकवाली-जलचर परिसर्प-विशेष (अंवि पृ ६६) । सिक्क-छींक (कु पृ २२)। सिक्कगणंतअ-छींके का आच्छादन-सिक्कगणंतओ उ पोणओ उच्छाडणं
भण्णति' (निचू २ पृ ३८) सिक्कगणंतग-छींके का आच्छादन (नि १११३)। सिक्कडि-डाकिनी (जसुटी प ८०) । सिक्कणंतग-छींके का आच्छादन (निच २ पृ ३७) । सिक्कयंतय- छींके का ढक्कन,-'अह सिक्कयंतयं पुण, सिक्कतओ पोणओ
मुणेयवो' (निभा ६४५) । सिक्कर-खंड, टुकड़ा-'सयसिक्करे गओ' (उसुटी प ४२)। सिगिला-जलचर परिसर्प-विशेष (अंवि पृ ६६)। सिगिलि-प्राणी-विशेष (अंवि पृ २३७) । सिग्ग-१ परिश्रम-सिग्गत्ति देशीपदमेतत् परिश्रम इत्यर्थः'
(व्यभा ४/४ टी प ६) । २ श्रांत, थका हुआ
(ओनि २४ ; दे ८२८)। सिग्गअ --श्रम (ओटी प ६२) । सिग्गड-कला-विशेष (कु पृ १५०) । सिचकत-वस्त्र-विशेष (अंवि पृ १४१) । सिज्जूर-राज्य (दे ८।३०) ।
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