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देशी शब्दकोश
सिमिया-साथ में रहने वाली, पड़ोसिन (बृभा १७२५) । सिट्टर-चेष्टा-'छेदणादिसिट्टरेहिं अच्छंति' (निचू २ पृ ५) । सिहक-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ६३) । सिण्हा-१ ओस, कुहरा (पंव ८०; दे ८।५३) । २ हिम (दे ८५३) ।
३ शिशिर-'सिण्हा शिशिरे देशी'। सिण्हालय -फल-विशेष (अनु ३।५१) । सित--चंवर-सितं चामरं' (दअचू पृ ८६) । सिति-सीढी (जीभा ३२६) । सितीय--१ शिविका । २ निःश्रेणी (अंवि पृ ३१) । सित्थ--१ जीवा, धनुष्य की डोरी-'सित्थं जीवा गुणो पहुंचा य'
(पा २७७) । २ मत्स्य की जाति-विशेष (अंवि पृ २२८) । सित्था-१ लार, लाला । २ जीवा, धनुष की डोरी (दे ८।५३)। सित्थि- मत्स्य (दे ८।२८)। सिद्ध-परिपाटित, विदारित (दे ८।३०) । सिद्धत्थ- रुद्र, महादेव (दे ८।३१)। सिप्प–पलाल, तृण-विशेष (दे ८।२८) । सिप्पिका-सीप, घोंघा (अंवि पृ २६७)। सिप्पिय-पलाल, तृण-विशेष (भ २११९)। सिप्पिर--तृण-विशेष (प्रज्ञाटी प ३३) । सिप्पिसंपुड-हीन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा ११४६)। सिप्पी-सूई (निचू १ पृ ५२) । सिन्म- श्लेष्म (भ ७।११६) । सिय-चामर (द ४।२१) । सियलिया-रोग-विशेष (निच २ पृ २१५) । सियवल्ली--- वृक्ष-विशेष (आचू पृ ३७३) । सियाण-श्मशान (व्यभा ७ टी प ७६)। सिरिंग-विट, लम्पट (दे ८।३२)। सिरिहह-पक्षियों का पान-पात्र (राजटी पृ १०५) । सिरिद्दही--पक्षियों का पानपात्र (दे ८।३२)। सिरिमुह-मदमुख, जिसके चेहरे पर नशे की झलक हो (दे ८।३२) । सिरियक-गुल्म-विशेष (अंवि पृ १४१) ।
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