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देशी शब्दकोश
सिंगनाइय-संघ का कार्य (नंदीटि पृ १६२)। सिंगय–तरुण (दे ८.३१) । सिंगरेवाणिय-कर्माजीवी (अंवि पृ१६०)। सिंगा-फली (आचू पृ ३४१) । सिंगा (गुजराती, मराठी, कन्नड़)। सिंगाडय-गले का हार, आभूषण (कु पृ ८३)। सिंगालक-पक्षी-विशेष (अंवि पृ २३८)। .. सिंगिका–बालिका-'दारिया बालिया व त्ति सिंगिका पिल्लिक ति वा'
(वि पृ ६८) सिंगिणी-गाय (दे ८।३१) । सिंगिरिर-चतुरिन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा ११५१) । सिगिरोडि-चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष (उ ३६।६७) । सिंगेरिवम्म-वल्मीक (दे ८।३३) । सिंगुग्गु-वनस्पति-विशेष (वि पृ २३२) । सिंघाडय-राहु का नाम-राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पम्पत्ता,
तं जहा-सिंघाडए जडिलए' (भ १२।१२३)। अ-राहु (दे ८।३१)। सिटी-नाक छींकने का शब्द (आवच १ पृ ३०) । सिंड-मोटित, मोड़ा हुआ (दे ८।२६) । सिंढ-मयूर, मोर (दे दा२०)। सिंढा-नासिका-नाद, नाक की आवाज (दे ८।२६)। सिढिय-श्लैष्मिक (व्यमा १० टी प ३)। सिंद-खजूर (आवहाटी १ पृ १४८) । सिंववासि-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ७०) । सिदि-खजूरी-सिदि-खज्जूरी' (मावचू १ पृ ३१६) । सिंदी-खजूरी-सिदिकंदयेण आहणामित्ति पहावितो, सिंदी-खजूरी'
(आवहाटी १ पृ १४८; दे ८।२६) । सिंदीर-नूपुर (दे ८।१०)। सिंदु-रस्सी (दे ८।२८)। सिंदुरय-१ राज्य । २ रज्जु (दे ८।५४)। सिंदुवण-अग्नि (दे ८॥३२)।
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