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________________ ० उवकययं कप्रत्ययाभावे उवकर्य सज्जितम् (१।११६ वृत्ति)। जच्छंदओ स्वच्छन्दः कप्रत्ययाभावे जच्छंदो (३।४३ वृत्ति)। इसी प्रकार कहीं-कहीं दीर्घ-हस्व मात्रा के अंतर वाले, अ/आ/इ/उ/ग/ घ/ह के अंतर वाले तथा व्यञ्जन-द्वित्त्व वाले शब्द समानार्थक होने पर भी पृथक रूप से ग्रहण किए गए हैं । जैसे चुडलय, चुडलि, चुडलिय, चुडली, चुडल्लि, चुडिलीय-जलती हुई लकड़ी। गुम्मी, गुम्ही, गोमी, गोम्मी, गोम्ही-कनखजूरा। उयरिणिया, ऊरणिया, ऊरणीया-जंतु-विशेष । भिलुगा, भिलुघा, भिलुहा- भूमि की रेखा । २. इन्हें भिन्न ग्रहण करने का दूसरा कारण--- कभी-कभी शब्द में अ/ आ/क/य/ग आदि जुड़ने से अर्थ में बहुत भिन्नता आ जाती है । जैसे -- . ० अवल्ल-बल । अवल्लय-नौका खेने का एक उपकरण । ० उद्धच्छवि - विपरीत । उद्धच्छविअ --- सज्जित । ० उंड-१. मुख, २. ऊंडा । उंडअ-पांव में पिंड रूप में लगे उतना गहरा कीचड़ । उंडग -- स्थण्डिल । ० पयल-नीड । पयला--निद्रा । पयलाअ - सर्प । पयल्ल - प्रसृत । ० पडिसारिअ --स्मृत । पडिसारी --यवनिका । इस कोश के मूलभाग में आदि नकार वाले शब्दों को नहीं रखा गया है। आगमों में जहां कहीं आदि नकार वाले शब्द प्राप्त हुए, उनके स्थान में 'ण' कर दिया गया है। क्योंकि देशी शब्दों की आदि में नकार का सर्वथा अभाव है। हेमचंद्राचार्य के मतानुसार 'देश्य प्राकृत में आदि नकार असंभव ही है। प्राकृत व्याकरण में 'वा आदौ' सूत्र के द्वारा जो वैकल्पिक आदि ण का विधान किया गया है, वह तो मात्र संस्कृत शब्दों से निष्पन्न प्राकृत शब्दों की अपेक्षा से है। ___ सामान्यतः संस्कृत या प्राकृत में उपसर्ग जुड़ने पर अर्थ परिवर्तित हो जाता है। हेमचंद्राचार्य के अभिमत में देशी शब्दों का उपसर्ग के साथ कोई स्वतंत्र सम्बंध नहीं है । जैसे—उच्छिल्ल--छिद्र (दे १/६५) । छिल्ल-छिद्र (दे ३/३५)। यहां उत्पूर्वक छिल्ल शब्द नहीं है, लेकिन छिल्ल और ० १. देशीनाममाला, ५॥६३ वृत्ति : नकार आदयस्तु देश्याम असम्भविन एवेति न निबद्धाः। यच्च 'वा आदौ' (प्रा २२२६) इति सूत्रितम् अस्माभिः तत् संस्कृतभवप्राकृतशब्दापेक्षया न देशी अपेक्षया इति सर्वमवदातम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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