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किया है। जैसे--पंचावण्ण, पणवण्ण (पचपन) आदि । इसी आधार पर हमने भी पण, चालीस, पणयाल, अडयाल, पणपण्ण आदि संख्यावाची शब्द लिए हैं। संख्यावाची शब्दों के अंतर्गत अडड, अडडंग, हुहुय, हुहुयंग, अवव, अववंग आदि शब्द भी महत्त्वपूर्ण हैं । ये शब्द संस्कृत कोशों में तो अप्राप्त हैं ही, अन्य परम्पराओं में भी नहीं मिलते । ये जैन गणित के विशेष पारिभाषिक शब्द हैं । अत: इन्हें देशीशब्दों के रूप में स्वीकृत किया है।
सामान्य कोशों में क्त्वा प्रत्ययांत शब्द नहीं मिलते । किन्तु हमने मूलरूप में प्रत्यय के साथ ही उन शब्दों का इस कोश में समावेश किया है। जैसे-अंगोहलेऊण, अप्पाहट्ट आदि। ऐसे शब्दों को लेने का कारण यह है कि कहीं-कहीं मूल शब्द का प्रयोग आगमों में नहीं मिलने से इन शब्दों द्वारा उन अर्थों का ज्ञान हो जाता है।
___ अनुकरणवाची शब्दों के विषय में विद्वानों में मतभेद है। कुछ इन्हें देशी मानते हैं तथा कुछ इन्हें देशी रूप में स्वीकार नहीं करते। किन्तु हमने इस कोश में अनेक अनुकरणवाची शब्दों को देशी रूप में स्वीकार किया है । जैसे-घणघणाइय, चवचव, छडछडा, छु, छुक्कारण, थिविथिविंत, दुहदुहग।
वाक्यालंकार के रूप में प्रयुक्त अव्यय भी देशी शब्दों के अंतर्गत समाविष्ट हैं । क्योंकि कहीं-कहीं टीकाकारों ने भी इन्हें देशी रूप में स्वीकार किया है । जैसे—'आई ति देशीभाषायां', 'खाइणं' ति देशीभाषया वाक्यालंकारे। प्राकृत के पादपूरक अव्ययों को भी देशी के रूप में स्वीकार किया है । जैसे - जे, मो, र, से, अदुत्तरं, बले। इनके देशी होने के कुछ प्रमाण इस प्रकार हैं
१. से शब्द: मागधदेशीप्रसिद्धो निपातस्तच्छब्दार्थः । २. ऊति णाम मरहट्ठा दिसु णादि दुगुंछिज्जति । ३. णगारो देसिवयणेण पायपूरणे । ४. वाणमिति पूरणार्थो निपात: ।
यद्यपि 'क' प्रत्यय स्वार्थ में होता है किन्तु इस कोश में मूलशब्द के साथ जहां भी स्वार्थ का द्योतक क, अ, य, ग और त आदि जुड़ गए हैं उन्हें अर्थ भिन्न न होने पर भी पृथक् रूप से ग्रहण किया है । जैसे------
अंछण, अंछणय-विस्तार । कडच्छ, कडच्छुत, कडच्छय-चम्मच । इन्हें स्वतंत्र रूप से ग्रहण करने के दो कारण हैं--
१. इन शब्दों का ग्रंथों में ऐसा प्रयोग मिलता है। अतः पाठक की सुविधा की दृष्टि से उनको अलग-अलग ग्रहण किया है। यदि साहित्य में 'कुड' शब्द की अपेक्षा 'कुडग' का प्रयोग है तो पाठक 'कुडग' शब्द ही देखना चाहेगा। आचार्य हेमचंद्र ने देशीनाममाला में कहीं-कहीं ऐसे शब्दों का निर्देश भी किया है। जैसे
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