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देशी शब्दकोश
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पायप्पहण-कुक्कुट, मुर्गा (दे ६।४५) । पायय-घोषणा-पायओ लंबिओ-जो हत्थि महइमहालयं तोलेइ तस्स य
सयसहस्सं देमि' (आवहाटी १ पृ २८०)। पायल-चक्षु, आंख (दे ६॥३८)। पारंक--मदिरा को मापने का पात्र-विशेष (दे ६।४१) । पारंपर-राक्षस (दे ६।४४) । पारदोच्च-चोरों का भय (बृभा ३६०५)-'पारदोच्चं चौरभयम्'
(टी पृ १०७२) । पारद्ध-१ पूर्वकृत कर्मों का परिणाम, प्रारब्ध । २ आखेटक, शिकारी
(दे ६।७७) । ३ पीड़ित (ज्ञा १।१८।६२; दे ६१७७) । ४ विनाशित
'दिणकर-करपरंपरोयारपारद्धंमि अंधयारे' (ज्ञा १११।२४) । पारद्धि-शिकार-'मंसक्खाया पारद्धिणिग्गया' (निभा २५५३) । पारमाणि-अत्यन्त कोप, परम क्रोध समुद्घात-'अप्पे वि पारमाणि, अवराधे
वयति खामियं तं च' (बृभा ५२०७) । पारय-मदिरा-पात्र (दे ६।३८) । पाराई-लोहकुसी-विशेष (प्र ३।१३) । पारावण--गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । पारावत-फल-विशेष (अंवि पृ ६४) । पारावर-गवाक्ष, झरोखा (दे ६।४३)। पारिग-प्रावरण-विशेष (निचू २ पृ ४००)। पारियल्ल-पहिए के पृष्ठ भाग की बाह्य परिधि-'संजम-तवतुंबारयस्स णमो
सम्मत्तपारियल्लस्स' (नंदी ५)। पारियासिय--रात्रि का बासी भोजन-'पारियासियं णाम रातो पज्जुसियं'
(निचू ३ पृ २८७)। पारिहच्छी–माला (दे ६१४२)। पारिहट्ट-चिरप्रसूता भैंस का दूध (ओटी प ४१)। पारिहद्री-१ द्वारपाल । २ आकर्षण । ३ चिरप्रसूता महिषी (दे ६७२) । पारिहिट्टि-चिरप्रसूता भंस (ओटी प ४८) । पारिहत्थी-१ माला (दे ६.४२) । २ शिरोमाल्य (व) । ३ पुष्प-विशेष
(अंवि पृ ७०) । पारिहेरग-आभूषण-विशेष (जीव ३३५९३)। पारी--१ पात्र-विशेष (जीव ३।५८७) । २ दूध दुहने का पात्र (दे ६।३७) ।
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