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________________ २८४ देशी शब्दकोश पारुअग्ग-विश्राम (दे ६।४४) । पारुअल्ल-पृथुक, चिउडा (दे ६।४४)-'तित्ति ण मण्णासे पारुमल्लअसणम्मि' . (वृ) । पारुहल्ल-मालीकृत, श्रेणीरूप में स्थापित (दे ६।४५) । पाल-१ कलवार, शराब बेचने वाला । २ जीर्ण, फटा-टूटा (दे ६।७५) । पालंक-पालक का शाक (बृभा २०६४) । पालक्क-पालक का शाक-पालक्कं महरटुविसए गोल्लविसए य सागो जायइ ____ इति विशेष-चूणौँ' (बृटी पृ ६०३)। पालप्प-१ विप्लुत, उपद्रुत । २ प्रतिसार—अपसरण, मरहमपट्टी, विनाश पालिआ-१ खड्ग-मुष्टि, तलवार की मूठ । २ तलवार की धार (पा २७५)। पालिका-भाजन-विशेष (अंवि पृ ७२) । पाली-१ दिशा, दिक् (दे ६।३७) । २ पल्योपम, समय का परिमाण-विशेष (उ १८।२८)। ३ धान्य मापने का नाप । पालीक-भोज्य पदार्थ-विशेष (अंवि पृ १०६)। पालीबंध-तालाब (दे ६।४५) । पालीहम्म-बाड, वृति (दे ६।४५) । पालु---आन (नि ३।४०) । पालुकिमिय-अपान में उत्पन्न होने वाले कृमि (नि ३।४०)। पाव-सर्प (दे ६।३८) । पावक्खालय-मलोत्सर्ग का स्थान, पाखाना-'वयंस! पावक्खालयं पविसामो' (कु पृ ६७) । पाववल्ली-वल्ली-विशेष (प्रज्ञा १४०।२)। पाविएक्क-आच्छादित (से ११।४८) । पावीर-स्थान-विशेष (अंवि पृ १३६) । पास-१ एक प्रकार का भाला- 'तयाणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चावग्गाहा..."पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठिया' (दश्रु १०।१४) । २ आंख । ३ शोभाहीन (दे ६१७५) । ४ दांत (वृ) । ५ अन्य वस्तु का मिश्रण । पासणिअ--साक्षी (सू १।२।५०; दे ६।४१) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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