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देशी शब्दकोश
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-१ भाजन - विशेष - पाणशब्देन भाजनविशेष उच्यते' ( अनु ३।३८ टी ) । २ चाण्डाल- 'पाणा नाम ये ग्रामस्य नगरस्य च बहिराकाशे वसन्ति तेषां गृहाणामभावात्' (व्यभा ४ | ३ टीप २१; दे ६।३८ ) । ३ वृक्षविशेष (अंवि पृ ६३ ) |
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पाण
पाधि - आने-जाने का मार्ग - पाणंधीति देशी पदमेतत् वर्तिनीवाचकं' ( व्यभा ४/२ टी प ८ ) ।
पाणद्धि - रथ्या, गली (दे ६ ३९ ) ।
पाणाअअ - श्वपच, चांडाल ( दे ६।३८ ) ।
पाणामा – १ सबको प्रणाम करने की पद्धति से अनुप्राणित प्रव्रज्या का एक प्रकार । (भ ३।३४) । २ वैनयिकवादियों का एक भेद ( सूचू १ पृ २०७ ) ।
पाणाली - दोनों हाथों का प्रहार (दे ६।४०) । पाणी - वल्ली - विशेष ( प्रज्ञा १|४०|४) । पाण्यक - द्वीन्द्रिय जंतु - विशेष (अंवि पृ २३७ ) । पातंक - मुद्रा - विशेष, सिक्का (नंदीटि पृ १४२) । पातिक - त्रीन्द्रिय जंतु - विशेष (अंवि पृ २६७) । 'पातिज्ज - उत्सव विशेष ( ? ) ( अंवि पृ ८ ) । पादहडि - पैरों को हिलाना, आगे-पीछे करना, पैरों से कुचेष्टा करना'हत्थ णट्ट - पादकुहडि- सरीरमोडणाति परिहरतो' (दअचू पृ १९६ ) । पादखडुयग - पैर का आभूषण - विशेष, बिछुआ (अंवि पृ ६५ ) । पापढकपैरों का आभूषण - विशेष (अंवि पृ ६५) । 'पापहिक - सर्प की एक जाति (अंवि पृ ६३) ।
पामद्दा – पैरों से धान्य को मसलना (दे ६ |४० ) ।
पामाड -- माड का पेड़ (पा ३७० ) ।
पामिच्च – उधार लिया हुआ - "कीयं पामिच्चं अच्छेज्जं अणिसट्ठ
( आ ८।२१) ।
पामिच्चय- - उधार लिया हुआ ( आचूला १०।११) । पामेच्छा - वनस्पति- विशेष (अंवि पृ ६२ ) ।
पाय - १ रथ-चक्र, रथ का पहिया (दे ६।३७ ) । २ फणी, सांप | पायंक --- विशेष प्रकार का सिक्का - पायंकाणं नाणगविसेसरुवाणं' ( आमटी प ५३० ) 1
पायड - आंगन (दे ६।४० ) ।
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