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देशी शब्दकोश
उलणा-देवी-विशेष (अंवि पृ २२३)। उलवी-पानी को सुगंधित करनेवाला एक प्रकार का घास (पा ६२८)। उलाण-बाज पक्षी-'उलाणसिंगतससयाण जालच्छइयाए'
(निचू २ पृ २८१)। उलिअ-निकणित आंख वाला, टेढी आंख वाला (दे ११८८)। उलित्त-ऊंचा कुंआ, ऊंची भूमी पर स्थित कुंआ (दे ११८६)। उलुउंडिअ--१ प्रलुठित । २ विरेचित (दे ११११६) । उलुकसिअ-पुलकित (दे ११११५) । उलुखंड-उल्मुक, अलात (दे १११०७) । उलुफुटिअ-१ विनिपातित । २ प्रशान्त (दे १११३८) । उलुहंत-काक, कौआ (दे १११०६)। उलहलिअ-जो कभी तृप्त नहीं होता, अतृप्त (दे ११११७) । उल्लअण–अर्पण (से १११५१) । उल्लंकय-काष्ठपात्र-'उल्लंकओ कटुमओ पत्तो' (निभा ४११३) । उल्लंचिय-खाली करना-'सो तस्स कए समुहं उल्लंचिउमाढत्तो'
(आवहाटी १ पृ २७६)। उल्लंठ-उद्धत-'उल्लंठवयणा विग्घाणि करेंति' (उसुटी प ६६) । उल्लंडग-मिट्टी का गोला-'उल्लंडगा परिबज्झंति मृद्गोलकमित्यर्थः'
(निचू ३ पृ १६०)। उल्लंडिअ-बाहर निकाला हुआ, रिक्त किया हुआ (पा ५६२)। उल्लग-कृश, क्षीण-सा उल्लगसरीरा जाया' (उशाटी प ३००)। उल्लढ-शुष्क, सूखा (ओटी पृ ३५६ पा)। उल्लण--छाछ से गीला किया हुआ ओदन, खाद्य-विशेष (पिनि ६२४) । उल्लणिया-शरीर पोंछने का वस्त्र, तोलिया (उपा ११२६) । उल्लत्थपल्लत्थ--असमंजस, उलट-पलट, अव्यवस्थित-'उल्लत्थपल्लत्था से
आलावया दिज्जति' (आवहाटी २ पृ ९१)। उल्लद-उतार कर-'तत्थ बइल्ले उल्लदेत्ता उवक्खडेंति'
(आवहाटी १ पृ १९४)। उल्लरय-कौडिओं का आभूषण (दे ११११०) । उल्ललिअ-शिथिल, ढीला (दे १११०४) । उल्लसिय–पुलकित (दे ११११५) ।
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