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देशी शब्दकोश
उरंउरेण-साक्षात् -'रहबलेण वा चाउरंगेणं पि उरंउरेणं गिण्हित्तए'
(विपा १३५०) ! उरंमुह—ओंधेमुंह-'परंमुहा पडंतु उरंमुहा पासेल्लिया (वा)' ?
(आवहाटी १ पृ २८५)। उरच्छक-मद्य का बड़ा पात्र (अंवि पृ २५६) । उरणा—वेणी में गूंथा जाने वाला ऊन का आभरण (अंवि पृ ६४)। उरणि-जन्तु-विशेष (भा ५८८३)। उरणी-त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष (अंवि पृ २३७) । उरत्त-खण्डित, विदारित (दे ११९०)। उरत्थय-कवच, वर्म (पा २७४) । उररि-पशु, बकरा (दे ११८८) । उरल-१ स्थूल, बड़ा । २ असघन, विरल-'उरलं ति विरलं न तु घनम्'
(प्रज्ञाटी प २६६) । उराल--१ सुन्दर-'अणुस्सुओ उरालेसु जयमाणो परिव्वए' (सू १९३०)।
२ प्रधान (स्था १०।१०३) । ३ भीषण-'भीमा भय भेरवा उराला' (उ १५।१४) । ४ विशाल, विस्तृत-'भण्णइ य तहोरालं वित्थरवंतवणस्सति पप्प । पयतीय पत्थि अण्णं एद्दहमेत्तं विसालंति ॥' (अनुद्वाहाटी पृ८७) । ५ हरित वनस्पति-विशेष
(प्रज्ञा ११४४)। उरालक-धान्य-विशेष (अंवि पृ ६६) । उरालिय-औदारिक शरीर-मंसटिण्हारुबद्धं उरालियं समयपरिभासा'
(अनुद्वाहाटी पृ८७)। उरिणण-पास निकालना (ओटी पृ ३७३ पा)। उरुणण-कपास निकालना (ओटी पृ ३७३)। उरुणी-गृह-उपकरण (अवि पृ १४२) । उरुपल्ल-१ अपूप, पूआ। २ धान्यों के मिश्रण से बना खाद्य, खिचड़ी आदि
उरुमिल्ल-प्रेरित (दे १११०८)। उरुलुंचग-त्रोन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा ११५०)। उरुसोल्ल-प्रेरित (दे १।१०८)। उलइय (ओलइय?) लटका दिया (व्यभा १० टी प८०)। उलग-हल चलाने वाला-'उलगादिभतओ भतीए घेप्पत्ति' (दश्रुधू प ३८) ।
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