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अवयव से अवयवी का अनुमान
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अनुमान
अनुमान हेतु से होने वाला साध्य का ज्ञान । कार्य, कारण, गुण, अवयव और आश्रय-इन पांच
से होने वाला अनुमान शेषवत् अनुमान है । १. अनुमान को परिभाषा
(न्यायभाष्यकार ने कार्य से कारण के अनुमान को २. अनुमान के प्रकार
शेषवत् कहा है । अवयव के ज्ञान से संपूर्ण अवयवी का ० पूर्ववत्
ज्ञान शेषवत् है -यह उपायहृदय, माठर और गौडपाद • शेषवत्
का मत है । अनुयोगद्वार में निर्दिष्ट शेषवत् के पांच भेदों • दृष्टसाधर्म्यवत् ३. पूर्ववत् अनुमान
का मूल क्या है - यह कहा नहीं जा सकता।) .. शेषवत् के प्रकार और दृष्टांत
कार्य से कारण का अनुमान ५. दृष्टसाधर्म्यबत्
कज्जेणं --संखं सद्देणं, भेरि तालिएणं, कभं ६. अनुमान के प्रकार-सादृश्य आदि
ढिकिएणं, मोरं केकाइएणं, हयं हेसिएणं, हत्थि गु :*अनुमान : ज्ञानगुणप्रमाण का भेद
गुलाइएणं, रहं घणघणाइएणं ।
(अनु ५२२)
शब्द से शंख का, ताड़ना से भेरी का, रंभाने से १. अनुमान की परिभाषा
वृषभ का, केका से मोर का, हिनहिनाहट से घोड़े का, ""लिंगमणु माणं"॥
(विभा ४६९) चिंघाड़ने से हाथी का और झंकार से रथ का अनुमान लिंगग्रहणसंबंधस्मरणाभ्यामनु पश्चाद् मानमनुमानं लिंगजं ज्ञानमुच्यते।
(विभामवृ पृ २१९) लिंग से होने वाला ज्ञान अनुमान है।
कारण से कार्य का अनुमान लिंग के ग्रहण और संबंध के स्मरण से होने वाला कारणेणं-तंतवो पडस्स कारणं न पडो तंतुकारणं, ज्ञान अनुमान कहलाता है।
वीरणा कडस्स कारणं न कडो वीरणकारणं, मप्पिडो
घडस्स कारणं न घडो मप्पिडकारणं । (अनु ५२३) २. अनुमान के प्रकार
तंतु वस्त्र के कारण हैं, वस्त्र तंतुओं का कारण नहीं ____ अणुमाणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-पुव्ववं सेसवं
होता। वीरण (कुश आदि के तण) चटाई के कारण हैं, दिट्ठसाहम्मवं ।
(अनु ५१९)
चटाई वीरण का कारण नहीं होती। मृत्पिण्ड घट का अनुमान के तीन प्रकार हैं - पूर्ववत्, शेषवत्
1 कारण है, घट मृत्पिण्ड का कारण नहीं होता। और दृष्टसाधर्म्यवत् ।
गुण से गणी का अनुमान ३. पूर्ववत् अनुमान
गुणेणं --सुवणं निकसेणं, पुप्फ गंधेणं, लवणं रसेणं, माता पुत्तं जहा नळं, जुवाणं पुणरागतं ।
मइरं आसाएणं, वत्थं फासेणं। काई पच्चभिजाणेज्जा, पुलिंगेण केणई।
(अनु ५२४)
निकष से सुवर्ण, गन्ध से पुष्प, रस से लवण, तं जहा-खतेण वा वणेण वा लंछणेण वा मसेण
आस्वाद से मदिरा और स्पर्श से वस्त्र का अनुमान वा तिलएण वा । से तं पुव्ववं । (अनु ५२०)
किया जाता है। कोई माता अपने खोए हुए पुत्र को युवावस्था में लौटा हआ देखकर किसी पूर्व लिंग से पहचान अवयव से अवयवी का अनुमान लेती है.---'मेरा पुत्र है' यह अनुमान कर लेती है, जैसे
___अवयवेणं-महिसं सिंगेणं, कुक्कुडं सिहाए, हत्थि क्षत से, व्रण से, चिह्न से, मष से अथवा तिल से।
विसाणेणं, वराहं दाढाए, मोरं पिछेणं, आसं खुरेणं, वग्धं कारण को देखकर कार्य का अनुमान करना
नहेणं, चरिं वालगुंछेणं, दुपयं मणुस्सयादि, चउप्पयं पूर्ववत् अनुमान है।
गवमादि, बहुपयं गोम्हियादि, वानरं नंगुलेणं, सीहं ४. शेषवत् अनुमान के प्रकार
केसरेणं, वसहं ककुहेणं, महिलं वलयबाहाए । गाहा----- सेसवं पंचविहं पण्णत्तं, तं जहा-कज्जेणं कारणेणं परियरबंधेण भडं, जाणेज्जा महिलियं निवसणेणं । गुणेणं अवयवेणं आसएणं ।
अनू ५२१) सित्थेण दोणपागं, कविं च एगाए गाहाए । (अनु ५२५)
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