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जैन आगम : वनस्पति कोश
शंखपुष्पी, क्षीरपुष्पी, कंबुपुष्पी, मनोरमा, शिवब्राह्मी बांस की जातियां ५५० हैं। इनमें १३६ जाति भारत में, भूतिलता, किरीटी, कम्बुमालिका, मांगल्यपुष्पी, शंखाह्वा ३९ ब्रह्मदेश में,२९ अंडमान में, ९ जापान में,३० फिलिपाइन मेध्या, वनविलासिनी ये पर्याय शंखपुष्पी के हैं। में तथा शेष में कुछ न्यूगिनी में, कुछ दक्षिण अफ्रीका और
(कैयदेव० नि० ओषधवर्ग पृ० ६२२) कुछ क्विन्सलेंड में पैदा होती है। अन्य भाषाओं में नाम
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ०५८) हि०-शंखाहुली, शंखपुष्पी। ले०-Conyolvulus विमर्श-भारत में १३६ जाति के बांस होते हैं। संभव है pluricaulis chois (कन्ह्वाल्ह्वयुलस् प्लुरिकॉलिस को) एक जाति का नाम कर्का हो। Fam. Convolvulaceae (कन्ह्वाल्ह्वयुलेसी)।
कक्कोड कक्कोडइ (कर्कोटकी) ककोडा प० १/४०/२ कर्कोटकी के पर्यायवाची नाम
कर्कोटकी स्वादुफला, मनोज्ञा च कुमारिका, अवन्ध्या चैव देवी च, विषप्रशमनी तथा।। १८७॥ कर्कोटकी, स्वादुफला, मनोज्ञा, कुमारिका, अवन्ध्या, देवी, विषप्रशमनी ये कर्कोटकी के पर्याय हैं। ,
(धन्व०नि० १/१८७ पृ०७१) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-वेकसा,रवेखसा,ककोड़ा,ककोरा बं०-वनकरेला। ववियुमी (शंखाहली
म०-कर्टोली, कांटोलें।गु०-कंटोला, कोडा।ते०-आगाकर। उत्पत्ति स्थान-यह भारत के सभी प्रदेशों में तथा
क०-माडहा। ता०-एगारवल्लिा ले०-Momordica dioica हिमालय पर ६००० फीट तक होती है।
Roxb (मोमोर्डिकाडायोइका) Fam. Cucurbitaceae विवरण-इसके क्षप प्रसरणशील तथा संदर होते हैं। (कुकुबिटसा)। शाखाएं मूल के ऊपर से ४ से १५ इंच, लंबी अनेक शाखाएं निकल कर चारों ओर फैली रहती हैं। पत्ते अखण्ड, रेखाकार से लेकर अंडाकार तक २५ से ५ इंच तक लंबे (कभी-कभी एक इंच) एवं पृष्ठलग्न तथा रेशम तुल्य मुलायम रोमों से युक्त होते हैं। पुष्प भडकीले नीले रंग के होते हैं और दो या तीन की संख्या में, पतले, पुष्पदण्डों के अग्र पर रहते हैं। बाह्यदल रोमश और प्रासवत् होते हैं। आभ्यन्तर कोश कभी-कभी श्वेत और कुछ-कुछ चन्द्राकार होते हैं। फल में २ से ४ फांक होते
(भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ० ४५४,४५५)
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कक्कावंस कक्कावंस (कविंश) वांस का एक प्रकार।
भ० २१/१७ प० १/४६/२
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