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उत्पत्ति स्थान - यह उत्तरी भारत में हिमालय के अंदर देहरादून, पालघाट, मोरंग वगैरह पहाड़ों में पैदा होता है। पंजाब की कांगडा डिस्ट्रिक्ट से अंबाले का कालेसर जंगल तक, आसाम की दाराङ्ग डिस्ट्रिक्ट, हिमालय की घाटियों में फीट की ऊंचाई पर, गारों की पहाड़ियां, कामरूप, , खासिया, जैनशियाहिल्स, संताल परगना से गंजम, जयपुर, मध्य प्रदेश विजिगापट्टम, गोदावरी के जंगल और दक्षिण कोरो मंडल से पंचमढ़ी की पहाड़ियों में बहुतायत से पाये जाते हैं।
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विवरण - यह कर्पूरादि वर्ग और सर्ज रसादि कुल का एक बड़ा सरल वृक्ष होता है। मूल पृथ्वी में गहरी उतरी हुई मोटी होती है। तना गहरा रक्ताभि कपिश कठोर और शाखायें साधारण होती हैं। इसके पत्ते एकान्तर सादे १० से ३० सेंटीमीटर तक लंबे और ५ से लेकर १८ सेंटीमीटर तक चौड़े होते हैं। पत्रदंड १ इंची, पत्र मूल की ओर डिम्बाकृति, अग्रभाग क्रमशः नोकीला, घोड़े के कान के समान चिकने और पकने के समय चमकदार हो जाते हैं, जिनमें नसें बहुत स्पष्ट मालूम होती हैं। उपपान होते हैं। केवल फाल्गुन मास को छोड़कर वृक्ष पर बारहों मास पत्ते होते हैं। छोटे वृक्षों की छाल चिकनी होती है। बड़े वृक्षों की छाल १ से २ इंच मोटी ऊबड़-खाबड़ और फटी सी होती है। इसके धड़ में छिद्र करने से जो रस झरता है वो राल कहलाता है।
फूल शाखाग्रोद्भुत गुच्छदार श्वेतवर्ण नरम और लोमयुक्त परन्तु पुराना फीका अंबरी वा उदी। पुष्प पत्रदल फीके पीतवर्ण के १/२ इंच, लंबा और नोकीला वर्शाकृति और लोमश पुष्पदंड, अर्धवृत्ताकार । फल लंबा १/२ इंच, सूक्ष्म कोणी, श्वेत और नरम, कक्ष ५, २ से ३ इंच लम्बा, मूल की ओर नुकीला, पकने पर धूसर वर्ण, असमान, १० से १२ समान्तराल शिरायें होती हैं। मार्च में फूल आते हैं और मई जून मास में फल आ जाते हैं।
( धन्वन्तरि वनौ० विशे० भाग ६ पृ० ६१-६२)
असण
असण (असन) असन,
विजयसार
असन के पर्यायवाची नाम -
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भ० २२/२ प० १।३५/३
असने तु महासर्ज:, सौरि बंधूकपुष्पकः ।
जैन आगम : वनस्पति कोश
प्रियको बीजकः काम्यो, नीलकः पीतशालकः ॥ ६०८ ।। असन, महासर्ज, सौरि, बन्धूकपुष्पक, प्रियक, बीजक, नीलक, पीतशालक, ये असन (विजयसार) के पर्यायवाची नाम हैं। (सोढल नि० प्रथमो भाग श्लोक ६०८) अन्य भाषाओं के नाम
हि० - विजयसार, विजेसार, विजैसार। बं०-पियाशाल, पीताल। म० - बिबला । गु० - बीयों । ते ० - बेगि क० - होनेमर । मा०-बिजैंसार | अ० - दम्भउल अखवैन हिन्दी । अं० - Indian Kino Tree (इण्डियन काइनोट्री ) । ले०- Pterocarpus marsupium Roxb टेरीकार्पस, मार्सुपियम | Fam. Leguminosae (लेग्युमिनोसी) ।
आसन असली नं. १
(विजयसार) Terminalia tomentosa Bedd.
शाख
पुष्प
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कटाफल
उत्पत्ति का स्थान - यह दक्षिण भारत, बिहार और पश्चिमी प्रायद्वीप में होता है।
विवरण- इसका वृक्ष सुंदर बहुत बड़ा किन्तु अचिरस्थाई होता है। छाल तिहाई इंच मोटी पीताभ धूसर रंग की खुरदरी होती है। पत्ते पक्षवत् एवं ५ से ७ पत्रक युक्त, जो आयताकार या अंडाकार, ३ से ५ इंच लंबे कुंठित या नताग्र, ऊपरी तल पर चमकीले एवं प्रधान शिरायें अनेक एवं स्पष्ट होती हैं। फूल चौथाई इंच के घेरे में किंचित् पीले या सफेद मंजरियों में आते हैं । फलियां १ से २ इंच व्यास में गोल व चिपटी होती है। जिसमें
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