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जैन आगम : वनस्पति कोश
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की वनौषधि प्रायः सब प्रान्तों में उत्पन्न होती है।
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मुद्दिया मुद्दिया (मृद्वीका) द्राक्षा लता
जीवा०३/२६६ प०१/४०/३ मृद्वीका (का) स्त्री। द्राक्षालतायाम्
(वैद्यकशब्द सिन्धु पृ०८४२) मद्वीका के पर्यायवाची नाम
द्राक्षा स्वादुफला प्रोक्ता, तथा मधुरसापि च। मृतीका हारहूरा च, गोस्तनी चापि कीर्तिता ।।१०६ ।।
द्राक्षा, स्वादुफला, मधुरसा, मृद्वीका, हारहूरा और गोस्तनी ये दाख के संस्कृत नाम हैं।
(भाव०नि. आम्रादिफलवर्ग०पृ०५८५) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-दाख, मुनक्का, अंगूर बं०-मनेका। म०अंगूर, द्राक्ष | गु०-धराख, दराख । कo-द्राक्षे । ते०-द्राक्षा। ता०-कोट्टन । फा०-अंगूर, मवेझ, (सूखा) । अ०-हबुस, सजीव । अं0-Grapes (ग्रेप्स)। ले०-Vitis Vinifera linn (विटिस्विनिफेरा) Fam. Vitaceae (विटेसी)।
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विवरण-इसके काण्ड प्रसरी, १ से २ फीट लम्बे, रोमश या चिकने होते हैं। पत्रककद में प्रायः बहुत परिवर्तनशील होते हैं और प्रायः वृन्त से छोटे ही होते हैं। ये प्रायः सर्वदा खण्डित, खण्ड तीन और गोल होते हैं। उपपत्र बहुत बड़े और पीठ से जुड़े हुए (प्रायः १/२ तक) होते हैं। उपपत्रक छोटे परन्तु पर्णवत् होते हैं। मंजरी के शीर्ष पर पुष्पगुच्छ और बड़ा पुष्पदंड होता है। फली पतली, लगभग २ इंच लम्बी एवं चिकनी होती है। बीज ६ से १२ और श्वेताभ होते हैं। इसके बीजों को कभी-कभी गरीब लोग खाने के लिये एकत्र करते हैं। पत्रकों के आकार के अनुसार इसे सूर्यपर्णी कह सकते
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग०पृ०२६७)
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हैं।
मुद्दिय मुद्दिय (मृद्वीका) द्राक्षालता
जीवा०३/२६६ प० १/४०/३ देखें मुद्दिया शब्द।
उत्पत्ति स्थान-यह लता जाति की वनस्पति फारस, अफगानिस्तान आदि विदेशों के सिवा इस देश में भी कई जगह किन्तु विशेषरूप से उत्तर पश्चिमी भागों में अधिक उत्पन्न होती है।
विवरण-पत्ते गोलाकार, पांच दल तथा कटे किनारे वाले और कंगूरदार होते हैं। फूल हरेरंग के
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